‘वट सावित्री’ के दिन वट वृक्ष के नीचे घी के ‘इतने’ दीए जलाएं, वृक्ष तले हनुमान चालीसा पढ़ने का प्रताप जानिए, अन्य उपायों की महिमा भी जानें

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: 19 मई, शुक्रवार को अखंड सौभाग्य एवं सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक ‘वट सावित्री व्रत’ (Vat Savitri Vrat 2023)19 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं मान्यता है कि, इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है और परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इस विशेष दिन पर कुछ विशेष उपाय करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

आइए जानें उन विशेष उपाय के बारे में –

ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, बरगद के वृक्ष की पूजा करने से संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है। किंवदंतियों के अनुसार, माता सावित्री की पूजा और निष्ठा को देखते हुए यमराज ने मृत पति परायणता को जीवनदान दिया था। तभी से यह मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से महिलाओं को पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं।

कहते हैं, कार्यस्थल पर आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष के नीचे 5 घी का दीपक जलाएं और मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं। ऐसा करने से साधक को बहुत लाभ मिलता है।

लंबी बीमारी और मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए वट वृक्ष के नीचे ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ जरूर करें और बीमार व्यक्ति के बिस्तर के नीचे बरगद के पेड़ की जड़ रख दें।

शास्त्रों में बताया गया है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेव, अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और पेड़ डालियों में महादेव वास करते हैं। वहीं, नीचे की तरफ लटकती हुई शाखा मां सावित्री का प्रतीक है। इसी वजह से इस विशेष दिन पर बरगद के पेड़ की पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और माता सावित्री की कृपा भी परिवार पर बनी रहती है।

घर-परिवार में विवाद को दूर करने के लिए हर दिन बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और त्रिदेवों का ध्यान करते हुए मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं। ऐसा करने से आपसी प्रेम में वृद्धि होती है।