मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का महत्व
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का महत्व

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: नए साल में हिंदू त्यौहारों की शुरुआत मकर संक्रांति के साथ होती है। सनातन धर्म में विशेष महत्व रखने वाली ‘मकर संक्रांति'(Makar Sankranti 2024) असल में नई फसल और नई ऋतु के आने का भी संकेत है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन दान करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से कई गुना अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति को देश के अन्य जगहों पर उत्तरायण, पोंगल, मकरविलक्कु, माघ बिहु और खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसे में इस दौरान खिड़की जरूरी रूप से खाई जाती है। आइए जानें मकर संक्रांति के विशेष मौके पर खिचड़ी खाना इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है और इससे व्यक्ति को क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं।

सनातन धर्म में मकर संक्रांति को महापर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस विशेष दिन पर सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य देव के धनु राशि से निकलकर मकर राशि मे प्रवेश करने की इस प्रक्रिया को सूर्य देव का संक्रमण काल कहा जाता है। माना जाता है कि इस विशेष मौके पर सूर्य देव की पूजा से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं, मकर संक्रांति पर खाई जाने वाली खिड़की भी न केवल सेहत की दृष्टि से महत्व रखती है बल्कि इसके कई धार्मिक लाभ भी हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, खिचड़ी में प्रयोग होने वाले चावल चंद्रमा का प्रतीक होते हैं। वहीं, खिचड़ी में प्रयोग होने वाली काली उड़द की दाल शनि का, हल्दी बृहस्पति का और नमक शुक्र का प्रतीक हैं। साथ ही खिचड़ी में डलने वाली हरी सब्जियों का संबंध बुध ग्रह से माना गया है। ऐसे में मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से व्यक्ति को सेहत का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही इससे कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव नष्ट हो जाता है और शनि देव की कृपा भी साधक पर बनी रहती है। अगर कोई व्यक्ति शनि दोष से पीड़ित है, तो उसे मकर संक्रांति पर खिचड़ी जरूर ग्रहण करनी चाहिए।

इसलिए खाई जाती है खिचड़ी

मकर संक्रांति के त्योहार से पहले यानी सितम्बर या अक्टूबर में धान की कटाई की जाती है। ऐसे में मकर संक्रांति के दिन अन्न देवता की पूजा के दौरान उन्हें नए चावल से बनी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। साथ ही इस खिचड़ी का भोग सूर्य देव को भी लगाया जाता है फिर इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है। ऐसा करना बहुत-ही शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी या गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन तिल, चिड़वा, उड़द दाल, चावल, कंबल और धन का दान करना फलदायी माना जाता है। ऐसा करने से धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान के अलावा भगवान सूर्या की उपासना जरूर करें, ऐसा करने से निरोग शरीर और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद मिलता है।