सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का बड़ा महत्व है। मान्याताओं के अनुसार, पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पितरों की मुक्ति के लिए कार्य किए जाते हैं। ये पूर्वजों को ये बताना का एक तरीका है कि वो अभी भी परिवार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। पितृपक्ष में पूर्वजों का आशीर्वाद लिया जाता है और और गलतियों के लिए क्षमा मांगी जाती हैं। मान्यता है कि, विधिपूर्वक पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण आदि किए जाते है। इससे प्रसन्न होकर पूर्वज अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में कई ऐसे नियम (Pitru Paksha Niyam) हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। आइए जानें पितृपक्ष में क्या करें और क्या न करें ?
पितृपक्ष में क्या करें
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के सभी दिन पितरों के लिए भोजन रखें। वह भोजन गाय, कौआ, कुत्ता आदि को खिला दें। ऐसी मान्यता है कि, उनके माध्यम से यह भोजन पितरों तक पहुंचता है।
- जब भी आप पितरों को तर्पण करें तो पानी में काला तिल, फूल, दूध, कुश मिलाकर उससे उनका तर्पण करें। कुश का उपयोग करने से पितर जल्द ही तृप्त हो जाते हैं।
- शास्त्रों के अनुसार, पितरों के लिए श्राद्ध कर्म संबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के मध्य तक संपन्न कर लेना चाहिए। श्राद्ध के लिए दोपहर में रोहिणी और कुतुप मुहूर्त को श्रेष्ठ माना जाता है।
- पितृपक्ष में आप अपने पितरों को तर्पण करते हैं तो इसे पूरे पक्ष में आपको ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए।
क्या न करें
- पितृपक्ष के समय में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। यह वर्जित है।
- इस समय में अपने घर के बुजुर्गों और पितरों का अपमान न करें। यह पितृ दोष का कारण बन सकता है।
- पितृपक्ष में स्नान के समय तेल, उबटन आदि का प्रयोग करना वर्जित है।
- इस समय में आप कोई भी धार्मिक या मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण आदि न करें। पितृपक्ष में ऐसे कार्य करने अशुभ होते हैं।
- कुछ लोग पितृपक्ष में नए वस्त्रों को खरीदना और पहनना भी अशुभ मानते हैं।