-सीमा कुमारी
मार्गशीर्ष यानी,अगहन महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली ‘गणाधिप संकष्टी चतुर्थी’ (Ganadhipa Sankashti Chaturthi) इस साल 23 नवंबर मंगलवार को है। मान्यता है कि इस दिन जो भी श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव से गणपति की आराधना करता है, उसके जीवन के समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानिए ‘गणाधिप संकष्टी चतुर्थीगणाधिप संकष्टी चतुर्थी’ का शुभ मुहूर्त, और व्रत के नियम के बारे में-
शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी आरंभ- 22 नवंबर 2021, सोमवार रात्रि 10: 26 मिनट से
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी समापन- 24 नवंबर 2021, बुधवार मध्य रात्रि 12: 55 मिनट पर
चंद्रोदय का समय- 23 नवंबर, मंगलवार रात्रि 08:27 मिनट
पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं | उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें, गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं | ध्यान रखें कि पूजा करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रहे. भगवान गणेश के आगे दीपक जलाकर उन्हें फूलों की माला अर्पित करें, उनकी आरती उतारकर लड्डू का भोग लगाएं और सभी में प्रसाद वितरित कर दें |
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के व्रत नियम
वैसे तो हर उपवास में सभी प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए और गणाधिप संकष्टी चतुर्थी में पूजा पाठ और व्रत के कुछ नियम है जो इस प्रकार हैं।
सबसे पहले जो लोग गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख रहे हैं उन्हें ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करना अनिवार्य है।
स्नान आदि के उपरांत स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
उसके बाद पूजा स्थल में जाकर व्रत का सकंल्प लेना चाहिए।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के व्रत के दिन चावल, गेहूं और दाल का सेवन न करें, यह भी एक अनिवार्य नियम है। इस दिन व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें।
क्रोध पर काबू रखें और खुद पर संयम बनाए रखें।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी के मंत्रों के जाप के साथ श्री गणेश स्त्रोत का पाठ भी करें। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रोदय के पश्चात अर्घ्य देकर ही करें