नई दिल्ली: गोपाष्टमी यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण और गायों को समर्पित है। श्रीकृष्ण की लीलाओं से सभी परिचित है इसलिए उन्हें लीलाधर भी कहां जाता है। उनकी लीलाओं को सुनना और देखना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है। मथुरा-वृंदावन कृष्ण की खास नगरिया है। इन जगहों से उनका खास जुड़ाव रहा है। आज भी वृंदावन और मथुरा में भगवान कृष्ण से जुडे हर एक त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाए जाते है। आज गोपाष्टमी यह त्यौहार भी गौ माता और श्री कृष्ण का ही है। आईये जानते है गोपाष्टमी का शुभ मुहूर्त और महत्व…..
भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता का यह गोपाष्टमी मथुरा वृंदावन और अन्य ब्रज के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे बहुत अच्छे से मनाया जाता है। बता दें कि गोपाष्टमी यह वो त्यौहार है जिस दिन जब भगवान श्रीकृष्ण के पिता नंद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण को वृंदावन की गायों की देखभाल करने की जिम्मेदारी दी थी। ये शुभ दिन हिंदू महीने कार्तिक के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
दिनांक: 10 नवंबर, 2021
अष्टमी तिथि प्रारंभ – 06:49 सुबह 10 नवंबर, 2021
अष्टमी तिथि समाप्त – 05:51 सुबह 11 नवंबर, 2021
गोपाष्टमी का महत्व
हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण और गाय दोनों ही पूजनीय है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम पहली बार वृंदावन में गायों को चराने ले गए थे।
इसके अलावा, माता राधा ने धोती और वस्त्र धारण करके खुद को एक लड़के के रूप में प्रच्छन्न किया, और फिर, अपने साथी के साथ गाय चराने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के साथ शामिल हो गईं क्योंकि उन्हें उनके लिंग के कारण गायों को चराने से मना कर दिया गया था।
इस शुभ पर्व से जुड़ी एक और कहानी बहुत प्रचलित है, जो इस दिन है, भगवान इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। इसलिए, सुरभि गाय ने भगवान इंद्र और भगवान श्रीकृष्ण पर दूध बरसाया और भगवान श्रीकृष्ण को गोविंदा घोषित किया, जो कि गायों के भगवान हैं। इस तरह गोपाष्टमी बहुत महत्वपूर्ण है।