आज है ‘गुरु गोबिंद सिंह जयंती’, जानें उनसे जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें, जिसे हर सिख मानता है

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    नई दिल्ली: हर साल 9 जनवरी को हमारे देश में सिख समुदाय के लोग ‘गुरु गोबिंद सिंह जयंती’ बड़े ही धूमधाम से मनाते है। आपको बता दें गुरु गोबिंद सिंह सिखों के 10वें और अंतिम गुरु (10th Sikh Guru) हैं। वे त्याग और बलिदान के सच्चे प्रतीक हैं और उनके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सिख समुदाय में बहुत ज्यादा माना जाता हैए। उन्होंने मानवता की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान कर दिया।

    सिख धर्म के लोगों को एक अच्छी राह दिखाने के लिए उन्होंने  कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं। आपको बता दें कि उन्होंने 5 महत्वपूर्ण बातें बताई है, जिसे  सिख धर्म में पांच ककार कहा जाता है। इन 5 ककार आज भी पालन पूरी श्रद्धा के साथ किया जाता है। इसके बिना हर सिख एक प्रकार से अधूरा ही है।  गुरु गोबिंद सिंह की जयंती से अवसर पर हम आपको उनकी कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जो आज भी मान्य हैं। जिसका सिख धर्म में बहुत महत्व है। 

    1. जैसा की हमने आपको बताया है गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों के लिए पांच ककार का मंत्र दिया था। उन्होंने कहा था कि जो भी सिख होगा, उसके लिए पांच ककार केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा अनिवार्य होगा। ये पहनकर ही खालसा वेश पूर्ण माना जाता है। यह 5 महत्वपूर्ण चीजें  सभी सिख परिधान करते है। 

    2. साथ ही समाज में धर्म और सत्य की स्थापना के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने हर सिख को रक्षा के लिए कृपाण धारण करने को कहा। इसलिए आज भी सिख कृपाण धारण करते है।

    3. गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह” का उद्घोष किया था। सिख समुदाय के लोग आज भी इस वाणी का उद्घोष करते हैं। यह उद्घोष हम कई सालों से सुनते आ रहे है।

    4. गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही गुरु परंपरा को खत्म करते हुए सभी सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब को अपना गुरु मानने का आदेश दिया। जिसके बाद से गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों के मार्गदर्शक हैं।  इस प्रकार से गुरु गोबिंद साहिब सिखों के अंतिम गुरु थे। 

    5. गुरु गोबिंद सिंह जी बहादुरी की मिसाल थे। उनके लिए कहा जाता है “सवा लाख से एक लड़ाऊ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊ”. उन्होंने सिखों को निडर रहने का संदेश दिया। आज भी सिख धर्म के सभी अनुयायी इन पांच महत्वपूर्ण बातों यानी ककार का पालन करते है।