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    नई दिल्ली: हम सब जानते है हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। इसे एक पवित्र पर्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने 2 एकादशी आती है। इसमें एक शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है। एकादशी के इस पवित्र पर्व पर व्रत किया जाता है ,इस दिन विधिवत व्रत और पूजा पाठ करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। 

    ऐसी मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने का फल अश्वमेघ यज्ञ और तीर्थ स्थानों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले पुण्य से भी अधिक है। उत्पन्ना एकादशी व्रत में श्रीविष्णु की पूजा का विधान है। तो आज ‘उत्पन्ना एकादशी’ के अवसर पर आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा। 

    ‘उत्पन्ना एकादशी’ की पौराणिक कथा

    उत्पन्ना एकादशी की कथा के अनुसार सतयुग में ‘मुरु’ नाम का एक असुर था जो बहुत अत्याचारी था। मुरु नाम के इस असुर ने देवलोक में सभी देवों को परास्त कर भगा  दिया और इन्द्र देव को अपना बंधक बना लिया। सभी देवता अपनी इस समस्या को लेकर भगवान शिव के पास गए और तब भगवान शिव ने उन्हें क्षीरसागर में भगवान श्री विष्णु के पास जाकर उनसे सहायता मांगने का आदेश दिया। 

    सभी देवता क्षीरसागर पहुंचे और श्रीविष्णु को अपनी व्यथा बताई। भगवान विष्णु ने स्वयं रणभूमि में जाकर असुर मुरु से युद्ध आरंभ किया। कहते हैं यह युद्ध दस हजार वर्षों तक चला।

    सभी दैत्य सेन मारी गई लेकिन मुरु ने हार नहीं मानी और घायल होने के बाद भी श्री विष्णु से युद्ध करता रहा। भगवान विष्णु ने जब मुरु को घायल अवस्था में देखा तो वे बद्रिकाश्रम की हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले गए।

    जब श्री विष्णु  योग निद्रा में थे तब मुरु उनका पीछा करते हुए वहां पहुंचा और जैसे ही उसने भगवान को मारने का प्रयास किया तभी वहां एक प्रकाश पुंज उत्पन्न हुआ। उस पुंज से एक देवी प्रकट हुई और उस देवी ने मुरु असुर का वध कर दिया।

    जिससे एकादशी देवी प्रकट हुई और देवी ने उस दैत्य का वध कर दिया। मान्यता है कि वह देवी श्री विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थी। विष्णु भगवान ने उस देवी को वरदान देते हुए कहा कि जो लोग माया मोह में बंधे हुए हैं उन्हें मुझ तक लाने में तुम सहायक होगी।

    तुम्हारी पूजा अर्चना करने वाले भक्त हमेशा सुखी और समृद्ध रहेंगे। कहते हैं तभी से एकादशी देवी के रूप में उनकी पूजा अर्चना होती है। इस दिन विष्णु भक्त  उत्पन्ना एकादशी का व्रत करते है और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते है।