सीमा कुमारी
नई दिल्ली: ‘मकर संक्रांति’ (Makar Sankranti) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। इस अवसर पर देश के कई शहरों में पतंग उड़ाने की भी एक विशेष परंपरा है। गुजरात में तो ये दिन पतंगोत्सव के लिए मशहूर है। लेकिन, क्या आप जानते हैं, आखिर ‘मकर संक्रांति’ के दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है और कैसे शुरू हुई ये परंपरा।
इस परंपरा के पीछे अच्छी सेहत का राज भी छुपा है। दरअसल, इस दिन सूर्य से मिलने वाली धूप लोगों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस दिन सूर्य की किरणों का प्रभाव अमृत समान होता है, जो विभिन्न तरह के रोगों को दूर करने में प्रभावी होती है।
कहा जाता है कि सर्दियों में हमारा शरीर खांसी, जुकाम और अन्य कई संक्रमण से प्रभावित होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उतारायण होता है। सूर्य के उतरायण में जाने के समय की किरणें मानव शरीर के लिए दवा का काम करती है। इसलिए ‘मकर संक्रांति’ के दिन पूरे दिन पतंग उड़ाने से शरीर लगातार सूर्य की किरणों के संपर्क में रहता है और उससे शरीर स्वस्थ रहता है।
मान्यता के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान राम ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने भाइयों और श्रीहनुमान के साथ पतंगें उड़ाई थीं। और तब से ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में जब सूर्य मकर राशि में आता है तब ये पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, पूजा और दान-पुण्य का अत्यंत महत्व माना गया है।
वर्तमान समय में भारत में 14 जनवरी को पतंग उड़ाने का रिवाज है। मकर संक्रांति के दिन कई शहरों में पतंगोत्सव के लिए प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते है। गुजरात, जयपुर और पंजाब जैसे राज्यों में पतंगोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति के अलावा पोंगल और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी पतंग उड़ाए जाते हैं।