समूचे देश में इन नामों से मनाया जाता है ‘मकर संक्रांति’ का त्योहार, इससे जुड़ी दिलचस्प परंपराओं के बारे जानिए

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    सीमा कुमारी

    नववर्ष का पहला त्योहार ‘मकर संक्रांति’ (Makar Sankranti) इस साल 15 जनवरी (15th January) को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बताया गया है। शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन सूर्य (Sun) का उत्तरायण होता है, और वे इस दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्यदेव को प्रकृति का कारक माना जाता है, इसलिए इस दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है।

    ‘मकर संक्रांति’ के दिन स्नान और दान का भी बहुत महत्व है। इस दिन कई जगहों पर पतंग भी उड़ाई जाती है। खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता है। और, गुड़-तिल, गजक का प्रसाद भी बांटा जाता है। आइए जानें देशभर में ‘मकर संक्रांति’ का पर्व और किन नामों से जाना जाता है और इससे मिलते-जुलते कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं।  

    ‘मकर संक्रांति’ को ‘खिचड़ी’ भी कहा जाता है। खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखंड में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाई जाती है और इसे खाते हैं।  इस वजह से इसका एक नाम ‘खिचड़ी’ भी है। ‘मकर संक्रांति’ को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है। प्रयागराज में इस दिन से ही माघ मेले का आयोजन होता है। ‘मकर संक्रांति’ को ‘माघी’ के नाम से भी जाना जाता है।

    गुजरात में मकर संक्रांति को ‘उत्तरायण’ पर्व के नाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर वहां पर पतंग उत्सव का आयोजन होता है। इसमें शामिल होने के लिए दुनियाभर से लोग आते है। उत्तरायण के दिन स्नान और व्रत करने का विधान है।  

     पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत कुछ अन्य जगहों पर मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व लोहड़ी मनाई जाती है। इस दिन को नई फसल की खुशी में मनाते है।  

     असम में मकर संक्रांति के पर्व को ‘माघ बिहू’ यानी, ‘भोगाली बिहू’ पर्व मनाया जाता है। हालांकि, यहां यह पर्व संक्रांति के एक दिन पहले से ही मनाया जाता है। इस दौरान असम में तिल, चावल, नारियल और गन्ने की अच्छी फसल होती है, इसलिए इस दिन यहां तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और खिलाए जाते हैं।