Governor Bhagat Singh Koshyari
File Photo

  • राज्यपाल कोश्यारी को लौटना पड़ा राजभवन
  • ठाकरे सरकार के साथ टकराव बढ़ा

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मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) और ठाकरे  सरकार (Thackeray Government) के बीच का टकराव चरम पर पहुंच गया है। ऐसी रिपोर्ट है की मुख्यमंत्री कार्यालय (Chief Minister Office) ने राज्यपाल को हवाई यात्रा (Air Travel) की अनुमति नहीं दी है। हैरानी की बात है कि राज्यपाल कोश्यारी को विमान में चढ़ने के बाद पता चला कि इस विमान से उन्हें हवाई सफ़र की अनुमति नहीं है।  इसके बाद राज्यपाल को विमान से उतर कर वापस राजभवन लौटना पड़ा। 

राज्यपाल को मुख्यमंत्री कार्यालय से हवाई सफ़र की अनुमति नहीं मिलने को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में उफान आ गया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह राज्यपाल का अपमान है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के दौरे पर जाना चाहते थे। वह उस समय सरकारी विमान में थे। हालांकि, यह पता चला है कि ठाकरे सरकार ने राज्यपाल की यात्रा की अनुमति नहीं दी है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके कोश्यारी चमोली में हुए हिमस्खलन के बाद की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए वहां जाना चाहते थे।  

राज्यपाल से माफी मांगनी चाहिए

प्रदेश बीजेपी के नेता और पूर्व वित्त मंत्री सुधीर मुनंगटीवार ने कहा है की गवर्नर के विमान को सरकार से अनुमति मिलती है, तो यह राज्यपाल का अपमान है। लोकतंत्र में यह सही नहीं है। उन्होंने कहा की अगर सरकार द्वारा ऐसा किया गया है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए। मुनंगटीवार ने कहा कि अगर किसी अधिकारी की गलती से ऐसा हुआ है तो उसे तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए। 

पूरी जानकारी के बाद प्रतिक्रिया  

उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि इस घटना के बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है, वे मंत्रालय में घटना की पूरी जानकारी लेने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे।

राजभवन के अधिकारी पर गिर सकती है गाज 

उधर, सरकार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सरकारी चार्टर्ड प्लेन से उतरने मामले के लिए राजभवन सचिवालय को ही जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राजभवन के संबंधित अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है। जिसकी वजह से राजभवन के अधिकारी पर गाज गिर सकती है। मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि  राज्यपाल को हवाई जहाज के उपयोग की अनुमति मिली है या नहीं इसकी जांच पड़ताल करने की जरुरत राजभवन सचिवालय की थी। राज्यपाल ने विमान की मांग सरकार से की थी। सरकारी जहाज लेने के लिए यह नियम है। मान्यता मिलने के बाद हवाई जहाज उपलब्ध कराया जाता है। मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से 10 फरवरी को ही अवगत करा दिया गया था कि अभी तक जहाज के उपयोग की मान्यता नहीं मिली है। मान्यता मिलने के बाद ही राज्यपाल की यात्रा का नियोजन किया जाना चाहिए था, लेकिन राजभवन के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। राजभवन के अधिकारियों की वजह से राज्यपाल को सरकारी चार्टर्ड प्लेन से उतरना पड़ा।