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  • सरकारी वकील के कार्यालय से दस्तावेज प्राप्त करने में गलत मंशा नहीं

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नागपुर. विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडणवीस और उनके साथियों के खिलाफ फौजदारी याचिका के दस्तावेज सरकारी वकील के कार्यालय से गलत तरीके तथा गलत मंशा से प्राप्त किए जाने का आरोप लगाते हुए अधि. सतीश उके की ओर से सोनेगांव पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई गई थी. सीआरपीसी की धारा 154 के तहत इस पर संज्ञान लेने का अनुरोध कर शिकायत दी गई थी. पुलिस द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं किए जाने पर उन्हें आदेश देने का अनुरोध कर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश वी.एम. देशपांडे और न्यायाधीश अमित बोरकर ने कहा कि भले ही इस याचिका में मध्यस्थता करने के उद्देश्य से सरकारी कार्यालय से दस्तावेज प्राप्त किए गए हों लेकिन इसमें किभी तरह की गलत मंशा दिखाई नहीं दे रही है. साथ ही किसी को नुकसान पहुंचाने का भी उद्देश्य साबित नहीं हो रहा है. 

मध्यस्थ और साथियों की हो जांच

याचिकाकर्ता की ओर से स्वयं पैरवी कर रहे अधि. उके ने कहा कि फौजदारी याचिका क्रमांक 350/2021 की 4 प्रतियां सरकारी वकील कार्यालय में जमा कराई थीं. इस याचिका में मध्यस्थ की अर्जी दायर करने वाले फडणवीस को उनके गुप्त एजेन्ट की ओर से इसकी भनक लगी थी. उन्होंने अवैध तरीके से याचिका की प्रति प्राप्त करने के इरादे से अपने एजेन्ट को संबंधित व्यक्ति के पास भेजा था. प्रतियां चुराने या याचिका के प्रति स्कैन करने के लिए गुप्त समर्थक की ओर से इसे अंजाम दिया गया. इन्हीं प्रतियों के आधार पर मध्यस्थ अर्जी दायर की गई है जिससे मध्यस्थ और उसके साथियों की इस मामले में सघन जांच होनी चाहिए. अधि. उके ने कहा कि इंटरविनर पूर्व मुख्यमंत्री रहा है. साथ ही वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष का नेता है. अत: राजनीतिक प्रभाव के चलते पुलिस द्वारा कार्रवाई किए जाने पर संदेह है. 

याचिकाकर्ता को नुकसान नहीं

लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के अनुसार अदालत के समक्ष मध्यस्थ अर्जी के लिए इन दस्तावेजों का उपयोग होने का आरोप लगाया गया है लेकिन याचिका में इससे इंटरविनर को किसी तरह का फायदा या याचिकाकर्ता को इससे नुकसान होने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. यहां तक कि सरकारी वकील कार्यालय को किसी तरह का नुकसान पहुंचाने के इरादे से चोरी होने का आरोप भी नहीं लगाया है. याचिका में केवल सरकारी वकील कार्यालय से अवैध तरीके से दस्तावेज प्राप्त किए जाने का आरोप लगाया गया है. अत: केवल मध्यस्थ अर्जी के साथ दस्तावेज पेश किए जाने के कारण गलत उद्देश्य से दस्तावेज प्राप्त किए जाने का दावा गलत है. इसके विपरीत न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थ के अधिकारों को लेकर न्यायालय द्वारा उचित न्याय करने के उद्देश्य से प्रेषित किए गए हैं.