ST BUS
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    मुंबई. कोरोना (Corona) व लॉकडाउन (Lockdown) के चलते पिछले 15 महीनों से भारी आर्थिक नुकसान झेल रही एसटी (ST) के बेड़े में 500 निजी बसों (Private Buses) को शामिल किए जाने के एमएस आरटीसी के निर्णय का विरोध कर्मचारी यूनियन ने किया है। 

    महाराष्ट्र की ‘लालपरी’ कही जाने वाली एसटी के कर्मचारी एक तरफ समय पर वेतन न मिलने से परेशान हैं, दूसरी तरफ राज्य परिवहन निगम का घाटा बढ़ता ही जा रहा है। बताया गया है कि पिछले लगभग 15 माह में एसटी को 5 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

    10 हजार करोड़ की जरूरत

    महाराष्ट्र नवनिर्माण राज्य परिवहन कामगार सेना के अध्यक्ष हरी माली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एवं परिवहन मंत्री एड अनिल परब को दिए पत्र में कहा कि एसटी को उबारने के लिए 10 हजार करोड़ के पैकेज की आवश्यकता है। परिवहन कामगार सेना ने एसटी के बेड़े में 500 निजी बसों को शामिल किए जाने के निर्णय का विरोध किया है। कामगार नेता हरी माली ने कहा कि एसटी कर्मचारियों को समय पर वेतन भत्ते देकर उनकी कार्यक्षमता को बढ़ावा देना चाहिए। यूनियन के प्रदेश सचिव प्रदीप गायकी ने कहा कि आम जनता के परिवहन साधन को धीरे-धीरे निजीकरण के गर्त में ले जाने का प्लान है। एसटी को नई बसें खरीदने और कर्मचारियों के बकाया वेतन भत्तों के लिए 10 हजार करोड़ का पैकेज दिया जाना चाहिए।

    बढ़ता घाटा, घटते यात्री

    बताया गया कि लॉकडाउन के पहले रोजाना 68 से 70 लाख यात्री एसटी से यात्रा करते थे। यात्रियों की कम होती संख्या, डीजल की बढ़ती कीमतें, टायर, स्पेयर पार्ट्स की कमी, पुरानी बसों की संख्या, पूर्व कर्मचारियों की पेंशन, चिकित्सा भत्ता आदि खर्चों के चलते एसटी पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। ईंधन पर सालाना 3,000 करोड़ रुपये, टायर-रखरखाव व मरम्मत पर 600 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। टोल व सड़क कर के लिए सालाना 160 करोड़ से अधिक भुगतान करना पड़ता है। यात्री किराए से निगम को  प्रतिदिन औसतन 11 से 12 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है, जबकि लॉकडाउन के पहले  दैनिक आय  20 से 22 करोड़ थी। 

    मिले फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा

    एसटी के लगभग 98 हजार कर्मचारियों में से अधिकांश का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है। यूनियन का कहना है कि जिस प्रकार बेस्ट के सभी ड्राइवर-कंडक्टर का वैक्सीनेशन किया उसी प्रकार एसटी के ड्राइवर-कंडक्टर एवं अन्य कर्मचारियों का टीकाकरण होना चाहिए। मनसे एसटी कामगार सेना के नेता हरी माली ने कहा कि कोरोनाकाल में भी जीवन की बाजी लगा कर कर्मचारियों ने काम किया है। कई कर्मचारियों की कोरोना से मौत होने पर भी उनके परिवार को  सरकार द्वारा घोषित 50 लाख का मुवावजा नहीं मिला। हरि माली ने कहा कि एसटी कर्मचारी भी फ्रंटलाइन वर्कर हैं, परंतु उन्हें सुविधा नहीं मिल रही है।