- 25 हजार करोड़ के घोटाला में दर्ज हुई थी एफआईआर
मुंबई. उप मुख्यमंत्री अजीत पवार को बड़ी राहत मिली है. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने महाराष्ट्र सहकारी बैंक के 25 हजार करोड़ रुपए के कथित घोटाले में अजीत पवार सहित 69 लोगों को क्लीन चिट दी है. पुलिस की तरफ से अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है.
एक दशक पहले महाराष्ट्र सहकारी बैंक में 25 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की खबर आई थी. जांच रिपोर्ट में तत्कालीन निदेशक मंडल को जिम्मेदार ठहराया गया था. वर्ष 2011 में रिजर्व बैंक ने निदेशक मंडल को बर्खास्त किया था. उसमें अजीत पवार, हसन मुश्रीफ सहित अन्य कई बड़े नेताओं का समावेश था. बैंक घोटाले में अजीत पवार सहित 70 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 ,506 , 409 ,465 एवं 467 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
जिन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था उसमें शिवसेना के आनंदराव अडसूल, भाजपा के विजयसिंह मोहिते पाटिल सहित अन्य पार्टियों के नेताओं का समावेश था. महाराष्ट्र राज्य सहकारी (शिखर) बैंक में हुए बड़े पैमाने पर घोटाले में एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह अरोरा ने मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की थी.
आरोप लगाया गया था कि आघाड़ी सरकार के समय कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने खुद के फायदे के लिए महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक का उपयोग किया. 25 हजार करोड़ रुपए के कर्ज मनमानी ढंग से बांटे गए.घोटाला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने निदेशक मंडल को बर्खास्त कर जांच का आदेश दिया था. कथित घोटाले में जिन मंत्रियों एवं अधिकारियों का नाम था उन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इस तरह कुल 300 से अधिक मंत्रियों एवं अधिकारियों के नाम सामने आए थे.
इस तरह के थे आरोप
- निदेशक मंडल ने नाबार्ड के निर्देशों का उल्लंघन किया.
- 9 चीनी मिलों को 331करोड़ रुपए कर्ज दिए गए.
- गिरणा, सिंदखेड़ा कारखाना, धागा मिलों को 60 करोड़ रुपए का कर्ज.
- केन एग्रो इंडिया का बकाया गारंटी रद्द होने से 119 करोड़ का घाटा.
- लघु उद्योगों को दिए गए कर्ज से सवा तीन करोड़ रुपए का नुकसान.
- कर्ज वसूली के लिए प्रापर्टी बेचने के बावजूद 478 करोड़ बकाया.
- निजी पद्धति से प्रापर्टी की बिक्री से 37 करोड़ रुपए का नुकसान.
- 8 बकायादारों की प्रापर्टी बेचने से 6.12 करोड़ रुपए का नुकसान.