- मुंबई बीजेपी उपाध्यक्ष कृष्णा हेगड़े का नजरिया
- स्वास्थ्य सेवाओं को ज्यादा बेहतर बनाने की जरुरत
मुंबई. कोरोना महामारी ने हमें एक बड़ा सबक सिखाया है. इस महामारी से सीखते हुए अब सरकार को आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सेवाओं को ज्यादा बेहतर बनाने पर बल देना चाहिए. यह बात मुंबई बीजेपी के उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक कृष्णा हेगड़े ने कही है. उन्होंने कहा कि पिछले 25 साल में मुंबई समेत महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए जितना काम होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ. यही वजह है कि आज इस महामारी की वजह से लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं और उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. मुंबई में कोरोना की मौजूदा स्थिति और इससे निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर हमारे प्रतिनिधि ने हेगड़े से खास बातचीत की. पेश है बातचीत के कुछ अंश.
मुंबई में कोरोना संकट की स्थिति को आप कितना गंभीर मानते हैं?
कोरोना से सिर्फ मुंबई ही नहीं, बल्कि पूरे भारत समेत सारी दुनिया की हालत खराब है. जिस तेजी से यह वायरस पूरी दुनिया में फैल रहा है, यह हम सबके लिए चिंता की बात है.मुंबई में भी रोजाना कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है. सरकार इससे निपटने के लिए कदम तो उठा रही है, लेकिन हेल्थ सेक्टर में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से मुश्किलें आ रही हैं.
कई लोगों की शिकायत है कि उन्हें अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं. आपको क्या लगता है कि कमी कहां पर है?
सच बात यह है कि पिछले 20 से 25 सालों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास को लेकर जितना काम होना चाहिए था, वह नहीं हुआ. यही वजह है कि आज जब कोरोना महामारी ने अचानक हमला बोला है तो पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है. लोगों को बेड और वेंटिलेटर की कमी का सामना करना पड़ रहा है. मेरा मानना है कि कोरोना संकट के खत्म होने के बाद अब सरकार को आगे के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है.
महाराष्ट्र सरकार ने निजी अस्पतालों के 80 प्रतिशत बेड को अपने कब्जे में लेने की घोषणा की है. फिर भी लोगों को बेड क्यों नहीं मिल रहे हैं?
महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला पूरी तरह से कागज पर है. सरकार ने निजी आस्पतालों के 80 प्रतिशत बेड को कब्जे में लेने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और है. कई अस्पतालों में 400 से ज्यादा बेड हैं, लेकिन सिर्फ 10 से 20 बेड ही कोरोना मरीजों के लिए दिए गए हैं. वहीं जिन मरीजों को बेड मिल गया है, उनसे इलाज के नाम पर लाखों रुपयों की वसूली की जा रही है. मेरी सरकार से मांग है कि वे निजी अस्पतालों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए कड़े कदम उठाए .
विधानसभा में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस समेत बीजेपी के ज्यादातर नेताओं का कहना है कि ठाकरे सरकार कोरोना संकट से निपटने में फेल रही है. आप का क्या मानना है?
विपक्ष का काम सरकार की कमियों से उन्हें अवगत कराना होता है.कोरोना मामले में हमारे नेता महाराष्ट्र सरकार की खामियों की जानकारी दे रहे हैं, ताकि इन्हें सुधारा जा सके. बीजेपी नकारात्मक नहीं, बल्कि सकारात्मक आलोचना में विश्वास करती है. कई बार सरकार को अपनी गलती का एहसास नहीं होता है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन गलतियों को बाहर निकालें ताकि लोगों का फायदा हो.
नवभारत के पाठकों के लिए आप का क्या संदेश है?
मैं नवभारत के पाठकों से अपील करूंगा कि वे कोरोना महामारी को हल्के में न लें. बाहर जाते समय पूरी सावधानी बरतें. यदि परिवार का एक सदस्य कोरोना का शिकार होता है तो परिवार के पूरे सदस्यों पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. दूसरी ओर मैं नवभारत की पूरी टीम की सराहना करता हूं, जो इस संकट में अपने समाचार पत्र के माध्यम से लोगों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का काम कर रही है. नवभारत हमेशा से जनता से जुड़ी समस्याओं को प्रमुखता से प्रकाशित करते रहा है. कोरोना संकट में भी अपने इस काम को बखूबी निभा रहा है.