Italian doctor caught with woman in a hotel room, had offered to cure her through sex
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मुंबई. CCIM ने हाल ही में 58 प्रकार की  सर्जरी करने के लिए आयुर्वेद डॉक्टरों के अधिकार को स्पष्ट करते हुए एक गजट जारी किया था, जिसके विरोध में इंडियन मेडिकल काउंसिल (Indian Medical Council) की तरफ से 11 दिसंबर को बुलाई गई हड़ताल का मुंबई में ज्यादा असर देखने को नहीं मिला। मुंबई में फोर्टिस (Fortis), रिलायंस (Reliance), हीरानंदानी (Hiranandani) और हिंदुजा (Hinduja) सहित सरकारी अस्पतालों के ओपीडी (OPD) मरीजों की जांच पर कोई असर नहीं हुआ।  मुंबई में आयुष चिकित्सक आईएमए के बंद के विरोध में एकजुट होकर सायन के आयुर्वेद अस्पताल में रक्तदान शिविर का आयोजन कर  बड़ी मात्रा में रक्त एकत्र किया।

आईएमए की तरफ से बताया गया कि कि उनकी लड़ाई आयुर्वेद अथवा आयुर्वेद डॉक्टरों के खिलाफ नहीं है, बल्कि चिकित्सा विषयों को मिलाकर बनाई गई ‘मिक्सोपैथी’ के खिलाफ है। आयुर्वेद में एलोपैथिक सर्जरी के इस संयोजन से आयुर्वेद जैसी प्राचीन और महान चिकित्सा शाखा का विकास बाधित होगा और इसका अस्तित्व नष्ट हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा सर्जन शरीर विज्ञान, जैव रसायन, विकृति विज्ञान, पैथालॉजी और अनेस्थिसिया का गहराई से अध्ययन करते हैं, इसकी तुलना आयुर्वेद पाठ्यक्रम से नहीं की जा सकती।

महाराष्ट्र के 110,000 आईएमए डॉक्टर 11 दिसंबर को हड़ताल पर चले गए थे, जिसमें मांग की गई थी कि सीसीआईएम अपनी अधिसूचना को वापस ले और सरकार इस बात पर ध्यान केंद्रित करे कि  चिकित्सा विषयों के विलय के बजाय प्रत्येक शाखा को अलग से विकसित करके जनता को अधिकतम लाभ  कैसे पहुंचा सकती है। इस बंद में केवल बाहरी ओपीडी को बंद किया जाना था। आईएमए से जुड़े ज्यादातर डॉक्टर निजी अस्पतालों में काम कर रहे हैं इससे संभावना जताई जा रही थी कि  निजी अस्पतालों में मरीजों की  सेवाएं  प्रभावित हो सकती हैं। मुंबई के एक निजी अस्पताल के प्रशासन ने डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने से नहीं रोका।  इसके बावजूद हड़ताल के कारण अस्पताल के ओपीडी सेवाओं पर  अधिक प्रभाव नहीं पड़ा।  मुंबई के सभी महत्वपूर्ण निजी अस्पतालों में बाहरी ओपीडी  सेवाएं सुचारू रूप से चल रही थीं। सरकारी अस्पतालों में कहीं भी हमले के संकेत नहीं थे। परिणामस्वरूप, मुंबई में मरीज की देखभाल पर आईएमए की हड़ताल का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

आयुष कृति समिति ने किया रक्तदान शिविर का आयोजन

आईएमए के डॉक्टरों ने बंद का आह्वान करने के बावजूद, आयुष डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाओं पर कोई परिणाम नहीं हो इसकी तैयारी की थी। राज्य में विभिन्न स्थानों पर आयुष कृति समिति ने  रक्तदान शिविर का आयोजन किया।  उन्होंने रोगियों, रिश्तेदारों, डॉक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों से सहज प्रतिक्रिया प्राप्त की। आयुष डॉक्टरों ने गुलाबी रिबन पहनकर आईएमए के बंद  का विरोध किया। सायन आयुर्वेद अस्पताल में आयोजित रक्तदान शिविर में 75 यूनिट से अधिक रक्त एकत्र किया गया। एकत्र किए गए खून की बोतलों को  आयुर्वेद अस्पताल में नहीं रख कर, मेहता अस्पताल भेजा गया।

आईएमए को विरोध का विरोध नहीं करना चाहिए। आज तक कई सर्जरी में एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सक साथ काम कर रहे थे। हम अपनी सीमा नहीं भूलेंगे, हम केवल 58 सर्जरी करेंगे। अगर डॉक्टर उसके नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो हम निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

– डॉ. मंगिरिश रांगणेकर, ट्रस्टी, शेठ आर.वी. आयुर्वेदिक अस्पताल

हमारा विरोध आयुर्वेद से नहीं है, बल्कि सीसीआईएम द्वारा प्रचलित मिक्सोपैथी से है। यह नागरिकों को मिक्सोपैथी के प्रभाव और इसके दुष्प्रभावों की याद दिलाने के लिए बंद है। हमारे डॉक्टरों ने गजट वापस लेने के संबंध में जिला कलेक्टर के समक्ष विरोध दर्ज कराया। राज्य भर के डॉक्टरों ने बंद में हिस्सा लिया।

– डॉ. अविनाश भोंडवे, अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन