2022 में कैंसर को अलविदा, टाटा अस्पताल में डम्मी पर शुरू होगा प्रोटोन बीम थेरेपी का ट्रायल

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    सूरज पांडे 

    मुंबई. विश्व लंग कैंसर दिवस (World Lung Cancer Day) पर टाटा मेमोरियल अस्पताल (Tata Memorial Hospital) के एक्ट्रेक खारघर (Kharghar) से एक अच्छी खबर आई है। कैंसर से ग्रसित मरीजों के लिए वरदान साबित होनेवाली प्रोटोन बीम थेरेपी (Proton Beam Therapy) जल्द शुरू होनेवाली है। इस मशीन को स्थापित कर लिया गया और अब इसे डम्मी (फैंटम) पर प्रयोग करने की अनुमति भी मिल गई है। इस प्रयोग में सफलता मिलते ही साल के अंत तक कैंसर मरीजों पर उपचार हेतु अनुमति मिल जाएगी। ऐसे में 2022 में डॉक्टरों और प्रोटोन थेरेपी की मदद से कई लोग कैंसर मुक्त हो जाएंगे।

    शनिवार को खारघर केंद्र में आयोजित एक छोटे से कार्यक्रम के दौरान क्लिनिकल ट्रायल के लिए प्रोजेक्ट का एक हिस्सा को चालू करने की अनुमति दी गई। टीएमसी को उम्मीद है कि परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) से आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद साल के अंत तक प्रोटॉन थेरेपी से इलाज शुरू हो सकता है। क्योंकि, टीएमसी डीएई के तहत काम करती है, इसलिए इलाज के खर्च पर भी सब्सिडी दी जाएगी और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को नि:शुल्क उपचार किया जाएगा। इतना ही नहीं इस इलाज में बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। डॉ सिद्धार्थ लस्कर, टीएमसी, परेल (अकादमिक्स) में उप निदेशक ने नवभारत को बताया कि ‘ पहली बात यह है कि हमारे पास दुनिया की सबसे आधुनिक प्रोटोन बीम थेरेपी मशीन है। दूसरी बात यह है कि देश मे टीएमसी अट्रैक्ट ही एक मात्र पब्लिक अस्पताल है जिसके पास यह तकनीक है। हम अब डम्मी पर इस प्रोटोन बीम थेरेपी का प्रयोग करेंगे। इससे हमें यह पता चलेगा कि यह कितनी इफेक्टिव तरीके से काम कर रहा है। यह रिपोर्ट हम डीएई को जाएगी और हमें अनुमति मिलती है तो नए साल से हम मरीजों का उपचार इस अत्याधुनिक मशीन की मदद से शुरू कर देंगे।

    क्या है प्रोटोन बीम थेरेपी ?

    वर्तमान में कैंसर रोगियों को रेडिएशन थेरपी दी जाती है लेकिन इस प्रक्रिया में मरीज के कैंसर सेल के साथ-साथ अच्छे सेल भी नष्ट हो जाते है। जबकि प्रोटोन थेरपी केवल कैंसर के सेल को खोज उन पर प्रहार कर नष्ट करता है। यानि यह मशीन कैंसर रोगियों का बेहद सटीक उपचार करता है।

    साल में 800 रोगियों का करेंगे इलाज

    प्रोटोन बीम थेरेपी की मदद से हम सालाना 800 कैंसर मरीजों का उपचार करेंगे। वैसे तो अमेरिका में इसका ट्रीटमेंट कॉस्ट लगभग 1 करोड़ तक पहुंच जाता है, लेकिन हम लगभग आधे मरीजों का उपचार नि:शुल्क करेंगे। बाकी शेष बचे मरीजों का इलाज भी एक दम किफायती दर पर करेंगे।

    - डॉ. सिद्धार्थ लस्कर , टीएमसी, परेल (अकादमिक्स) में उप निदेशक

    उपचार, रिसर्च और एजुकेशन

    इस मशीन से हम मरीजों के उपचार के साथ रिसर्च भी करेंगे। हम शोध कर दुनिया को बताएंगे कि यह प्रोटोन बीम थेरेपी कौन-कौन से कैंसर के उपचार के लिए प्रभावशाली है और किस के लिए नहीं। इसके अलावा हम हमारे डॉक्टर्स और टेक्नीशियन है उन्हें  इस तकनीक से अवगत कराएंगे। यह कैसे कार्य करती है, इसका उपयोग कैसे किया जाता है और अन्य संबंधित महत्वपूर्ण पर एडुकेटे किया जाएगा।

    रिकॉर्ड समय में किया स्थापित, कोई अनहोनी नहीं

    प्रोटॉन थेरेपी सिस्टम की आपूर्ति, स्थापित और संचालित करने के लिए बेल्जियम की कंपनी आईबीए को चुना गया है। लगभग 6 महीने से भी कम समय में 1100 टन उपकरण स्थापित किया है। इस मशीन की स्थापना के दरमियान छोटे बड़े हादसे होते हैं, लेकिन हमारे प्रोटोकॉल्स के चलते कोई भी अनहोनी नहीं हुई है। कोविड, चक्रवात, उड़ान पर निर्बंध जैसी कई अड़चनों के बावजूद हमारा कार्य निरंतर जारी रहा।

    - राकेश पाठक, निदेशक, आईबीए इंडिया

    इन मरीजों पर होगा उपचार

    प्रोटॉन थेरेपी का उपयोग  प्रोस्टेट, रीढ़, मस्तिष्क, यकृत, स्तन, सिर और गर्दन के कुछ अन्य प्रकार के कैंसर के लिए किया जाता है। इसका उपयोग उन ट्यूमर के लिए भी किया जा सकता है जो उन क्षेत्रों में पुनरावृत्ति करते हैं जिन्हें पहले मानक विकिरण के साथ इलाज किया गया था।