पीपीई किट की कमी से जूझते स्वास्थ्य कर्मी

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  • बढ़ते मरीज, घटते संशाधन, कैसे होगा कोरोना का शमन 

मुंबई. मुंबई कोरोना का सबसे हॉटस्पाट बना हुआ है. लेकिन विश्व की सबसे समृद्ध महानगरपालिका अपने स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट उपलब्ध कराने में पिछड़ने लगी है. बीएमसी अधिकारी व्यवस्था संचालन में लापरवाही बरत रहे हैं, जिसके चलते मनपा के कई अस्पतालों में पिछले 2 महीनों में पीपीई किट और ग्लोव्स की भारी कमी देखी जा रही है. इससे स्वास्थ्य कर्मचारियों का कार्य प्रभावित हो रहा है. जब स्वास्थ्य कर्मियों को चिकित्सा उपकरण ही नहीं मिलेगा तो वे कोरोना का कैसे शमन कर पाएंगे.   

मनपा के पास उपलब्ध स्टॉक समाप्त होने की कगार पर

कोरोना का उपचार करने वाले डॉक्टरों और सहयोगी स्टॉफ के लिए प्रयोग होने वाले मास्क, पीपीई किट, दस्ताने और अन्य सामग्री की खरीदी करना मनपा की जिम्मेदारी है. लेकिन खरीदी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतों के कारण खरीदी प्रक्रिया धीमी कर दी गई है. मनपा के पास उपलब्ध स्टॉक समाप्त होने की कगार पर है. ऐसे में यह सवाल उठने लगे हैं कि मनपा इन वस्तुओं की खरीदी कब करेगी होगी. उल्लेखनीय है कि मनपा अस्पतालों में प्रति सप्ताह 1 लाख 25 हजार पीपीई किट लगता है. मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही इनका उपयोग भी बढ़ता है. इसलिए इन सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति की जानी चाहिए. 

टेंडर और आपूर्ति में देरी 

मनपा के अतिरिक्त आयुक्त पी. बेलारासु के अनुसार खरीदी प्रक्रिया अंतिम चरण में है. पीपीई किट का टेंडर निकालने और उसे अंतिम रूप देने के लिए कम से कम 15 से 20 दिन का समय लगता है.

क्या है महाराष्ट्र की स्थिति?

मुंबई, पुणे और नागपुर में कोरोना वायरस का हॉट स्पॉट बना हुआ है. जिले में नए रोगियों की संख्या में लगातार कमी आने से हालात संतोषजनक लगते हैं. लेकिन डेली रिपोर्ट में मंगलवार को जारी आंकड़े चिंताजनक है. आंकड़े बताते हैं कि कुछ जिलों में कोरोना का खतरा बढ़ रहा है. खासकर ग्रामीण इलाकों में वायरस तेजी से फैलने लगा है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 6 अक्टूबर को घोषित आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 2,44,527 कोरोना के सक्रिय मरीज हैं. पीपीई किट पहनने के बाद भी बड़ी संख्या में  स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित हुए हैं. पीपीई किट ही नहीं होगा तो वे काम कैसे कर पाएंगे, ऐसे में उनके संक्रमित होने की तादात बढ़ जाएगी.