Many health officials quit or were fired in the midst of a global epidemic

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– ऐसे मरीजों में समाया कोरोना का डर

 – प्रदूषण घटने से अस्थमा रोगियों को राहत

मुंबई.कोरोना महामारी के भय से अस्पतालों में अन्य बीमारी वाले मरीजों की संख्या घटी है. लॉकडाउन के चलते कंपनियों के बंद होने और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम होने से वातावरण शुद्ध हुआ है. कंपनियों के केमिकल और गंदा पानी नदियों में न जाने से नदियों का पानी शुद्ध हुआ है. हवा और पानी की शुद्धता से अस्थमा रोगियों को राहत मिली हैै.

दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के भय से अन्य बीमारियों के मरीज अस्पतालों में जाने से डर रहे हैं. कोरोना के डर और मरीजों के संक्रमण से बचने के लिए कई डॉक्टर अपनी क्लीनिक भी बंद कर दिए हैं. यानी डॉक्टर और पेशेंट दोनों डरे हुए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण से डर तो हर किसी को है, लेकिन मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

इलाज कराएं, वरना बढ़ सकता है रोग

बाम्बे हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि जो स्थानीय डॉक्टर अपनी डिस्पेंसरी नहीं खोलते हैं, उन्हें खोलना चाहिए और जो अन्य बीमारियों के मरीज हैं, उन्हें तुरंत इलाज कराना चाहिए अन्यथा उनका रोग बढ़ सकता है.

डर से ओपीडी में नहीं आ रहे मरीज 

ग्लोबल हॉस्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांट विभाग और एसपीबी सर्जरी के हेड डॉ. रवि मोहंका ने कहा कि कोरोना के भय से ओपीडी में मरीजों की भारी कमी आई है. करीब 70 से 80% मरीज कम हुए हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को छोटी-मोटी बीमारियां हैं, वे घरों में ही रह रहे हैं. वे सोच रहे हैं कि कुछ दिन बाद डॉक्टर से मिलेंगे. डॉ. मोहंका ने कहा कि सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं, इसलिए एक्सीडेंट भी कम होते हैं. एक्सीडेंट वाले मरीजों की भी संख्या में कमी आई है. उन्होंने कहा कि सड़कों पर धूल धक्कड़ बंद है, कंपनियां बंद हैं, इसलिए वातावरण शुद्ध हुआ है. इससे अस्थमा वाले मरीजों की संख्या भी कम हुई है. पानी की शुद्धता के कारण लूज मोशन डायरिया आदि कई तरह की पानी वाली बीमारियां कम हुई हैं. 

मोबाइल कंसल्टिंग की हो व्यवस्था

बांबे हॉस्पिटल के कंसल्टिंग फिजिशियन एवं संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेश जैन ने कहा कि अन्य रोगों वाले अधिकांश पेशेंट वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संपर्क करते हैं. उन्हें दवाइयां बताई जाती हैं, कोरोना के कारण ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या घटी है. उन्होंने कहा कि अन्य बीमारी वाले मरीजों को मोबाइल के जरिए उनके घरों पर ही कंसल्टिंग की जानी चाहिए. गंभीर रोग वाले मरीजों को अस्पताल आना चाहिए.