आदिवासियों का तहसीलदार कार्यालय पर आंदोलन

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  • श्रमजीवी संगठन के नेतृत्व में किया प्रदर्शन
  • खाऊटी योजना का लाभ न मिलने से नाराजगी

वसई. लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र सरकार द्वारा  घोषित खाऊटी योजना का अब तक लाभ नहीं मिलने से नाराज आदिवासी समाज के लोगों ने तहसीलदार कार्यालय धरना-प्रदर्शन किया. अपने हक की मांग को लेकर वसई तालुका के आदिवासी समाज के लोगों ने श्रमजीवी संगठन के नेतृत्व में वसई तहसीलदार कार्यालय के समक्ष ‘मयत उपरांत तेरहवीं’ आंदोलन कर विरोध जताया. 

आंदोलन के दौरान लोगों ने अपने रीति अनुसार मुंडन कराकर सरकार का पिंडदान और तेरहवीं का कार्यक्रम किया. इस दौरान उपस्थित लोग वादा खिलाफी को लेकर सरकार विरोधी नारे लगाए. 

योजना सिर्फ कागजों पर 

आंदोलन कर रहे लोगों ने बताया कि श्रमजीवी संगठन के अथक प्रयास से सरकार द्वारा खाऊटी योजना अन्तर्गत आदिवासी समाज के लोगों को 2 हजार एकाउंट में तथा 2 हजार की खाद्य सामग्री देने का वादा किया गया था, लेकिन सरकार के मृत अवस्था में होने के कारण यह योजना लॉकडाउन के 7 माह बीत जाने के बाद भी सिर्फ कागजों पर है, जबकि लॉकडाउन के बाद से तमाम परिवार के लोगों की नौकरी छूट गई. कारोबार बन्द है. ऐसे में परिवार के लोग भुखमरी के हालात में हैं. सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन से कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन वह भी अब तक सिर्फ कागजों पर ही है, जिसे सरकार तत्काल शुरू करने का निर्देश दे ताकि लोगों को समस्या से निजात मिल सके. इस दौरान मुख्य रूप से केशव नानकर, आत्माराम ठाकरे, गणेश उंबरसाड़ा, विमल परेड, नितिन पाटिल, अरुणा मुकाने, दिलीप लौढ़े, एकनाथ कलिंगडा, नारायण विघ्ने, प्रवीण वांढा , संजीवनी सुरूंधा व यशवंत सायरे सहित बड़ी संख्या में स्थानीय आदिवासी समाज की महिलाएं व युवा उपस्थित रहे.