मुंबई. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के घर ‘एंटीलिया’ बाहर मिली विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो और मनसुख हिरेन मर्डर केस (Mansukh Hiren Murder Case) की जांच पूरी कर ली है। एनआईए जहां इन दोनों ही मामले में विशेष अदालत में आरोप पत्र जल्द दाखिल करने की तैयारी कर रही है, वहीं ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियो के चोरी मामले की जांच भी अपने हाथ में ले ली है। अभी तक इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) कर रहा था।
एटीएस ने शुरुआती जांच की थी और मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश का खुलासा किया था और बर्खास्त सिपाही विनायक शिंदे एवं गुजरात स्थित मोबाइल सिम कार्ड सवार नरेश गोर को गिरफ्तार किया था। बाद में मार्च में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो पार्क करने और मनसुख की हत्या की दो जांच एनआईए को सौंप दी। एटीएस पिछले महीने तक एक मारुति ईको कार की भी तलाश कर रही थी, जिसे वझे ने औरंगाबाद से चुराया था।
स्कॉर्पियो चोरी की झूठी शिकायत
एनआईए को ‘एंटीलिया’ बाहर मिली विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो और मनसुख हिरेन मर्डर केस की जांच के दौरान कई ऐसे सबूत मिले हैं, जिससे साफ हो गया है कि मुंबई पुलिस से बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे ने मनसुख से स्कॉर्पियो चोरी की झूठी शिकायत विक्रोली पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया था। उसके बाद उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर बाहर विस्फोटक स्कॉर्पियो में भर कर पार्क करने की साजिश रची गयी। इस साजिश में वझे के साथ मनसुख हिरेन भी शामिल था।
डर से मनसुख की हत्या
जैसे ही इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी गयी। एनआईए की जांच में मनसुख साजिश का राज उगल देगा, इस डर से वझे एवं उसके साथियों ने मिल कर मनसुख की भी हत्या कर दी और उसकी लाश को मुंब्रा की खाड़ी में फेंक दिया। इस तरह तीनों ही मामले की कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हुई है। मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियो के ठाणे से मुंबई आने-जाने एवं उसे अंबानी के घर पार्क किए जाने तक जो सीसीटीवी मिले हैं, एनआईए की जांच में वह अहम कड़ी साबित हुई हैं।
सीसीटीवी से खुले सारे राज
सीसीटीवी से न केवल सचिन वझे अपने षड्यंत्र की जाल में फंस गया, बल्कि उसके साथ षड्यंत्र में शामिल सहकर्मी रहे बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक रियाजुद्दीन काजी, बर्खास्त पुलिस निरीक्षक सुनिल माने, बर्खास्त सिपाही विनायक शिंदे और गुजरात स्थित मोबाइल सिम कार्ड सवार नरेश गोर भी एनआईए की गिरफ्त में आ गए। एनआईए के रडार पर कई पुलिस वाले अभी भी हैं, जो गवाह बन सकते हैं।
बेहोश कर जिंदा ही खाड़ी में फेंक
दो दिन पहले मनसुख की आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट साफ हो गया कि उन्हें जहर देकर नहीं मारा गया था। हालांकि एनआईए की जांच में भी क्लोरोफॉर्म सूंघा कर बेहोश कर मनसुख के हाथ को बांध दिया गया था और उनके मुंह में रूमाल भर कर जिंदा ही खाड़ी में फेंक दिया गया था।