दीवाली बाद लौटेगी कपड़ा व्यापार की रौनक, 60% तक पहुंचा कपड़ा कारोबार

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मुंबई. चाइनीज वायरस कोरोना का प्रकोप कम होने के साथ अनेक बाजारों में रौनक लौटने लगी है, लेकिन मुंबई कपड़ा बाजार में रौनक लौटने में अभी समय लग सकता है. देश के इस सबसे बड़े कपड़ा मार्केट के व्यापारियों को उम्मीद है कि कपड़ा व्यापार में रौनक दीवाली बाद ही लौटेगी.

हालांकि आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के साथ व्यवसाय में तेजी से सुधार हो रहा है और कारोबार प्री-कोविड स्तर के 60% तक पहुंच गया है. आम जनता के लिए लोकल ट्रेन बंद होने से कारोबार प्रभावित हो रहा है. यदि दीवाली बाद सभी के लिए लोकल ट्रेन शुरू होती है तो कपड़ा व्यापार जोर पकड़ लेगा.

लोकल बंद होने से कारोबार प्रभावित  

व्यापारियों का कहना है कि चूंकि आम जनता के लिए लोकल ट्रेन अभी भी बंद है. इस कारण जहां सभी कर्मचारी नहीं आ पा रहे हैं. वहीं बाजार में स्थानीय ग्राहक भी कम दिख रहे हैं. ऐसे में सभी व्यापारी बाजार में नहीं आ रहे हैं. लोकल बंद होने के साथ लंबी दूरी की ट्रेनें भी कम चल रही हैं. जिससे बाहर के खरीददार भी माल खरीदने मुंबई आने की बजाय ऑनलाइन और फोन पर ही ऑर्डर दे रहे हैं. दीवाली बाद सभी के लिए लोकल ट्रेन शुरू होने की उम्मीद है. तब बाजार में बाहर के व्यापारी आना शुरू होंगे और तभी व्यापार जोर पकड़ेगा.

30% दुकानें खाली, किराया भी घटा

व्यापारियों का कहना है कि अभी तक व्यापार पूरी तरह पटरी पर नहीं आने से मुंबई कपड़ा बाजार में सभी दुकानें भी पूरी तरह नहीं खुली हैं. एमजे मार्केट, मंगलदास, स्वदेशी मार्केट, दाभोलकर वाड़ी सहित संपूर्ण कालबादेवी इलाके में रेंटल वाली करीब 30% दुकानों के रेंट एग्रीमेंट का नवीनीकरण ही नहीं हुआ है. और जिन 60-70% दुकानों के नवीनीकरण हुआ है, उनमें भी किराया 25 से 30% घट गया है. जबकि इस साल दुकानों की खरीद-बिक्री तो बहुत ही कम हो रही है.     

पेमेंट को लेकर व्यापारी सख्त  

मांग और व्यापार बढ़ने के साथ बाजार में अटका हुआ पेमेंट भी आने लगा है. कपड़ा व्यापार में भुगतान अवधि 60 दिनों की रहती है, लेकिन लॉकडाउन में कारोबार ठप होने से भुगतान अवधि 4 से 5 माह तक पहुंच गयी थी. परंतु अब रॉ मैटेरियल (यार्न) के सप्लायर पेमेंट को लेकर सख्त हो गए हैं. वे 20 दिन की बजाय 10 दिन में पेमेंट ले रहे हैं. उनके साथ ही ग्रे फैब्रिक्स व्यापारी भी 60 दिन की बजाय 30 दिन में मांग रहे हैं. अब फिनिश माल के व्यापारी भी 60 दिन से अधिक उधारी देने के मूड में नहीं है. यह अच्छा संकेत है. क्योंकि भुगतान अवधि घटने से व्यापारियों का कर्ज भार घटेगा. – श्रीप्रकाश केडिया, ट्रस्टी, भारत मर्चेंटस चैम्बर

65% तक ही उत्पादन

कोरोना संकट के कारण 4 महिनों तक कारोबार पूरी तरह ठप रहने के बाद अगस्त से कारोबार शुरू हुआ. सितंबर-अक्टूबर में धीरे-धीरे बढ़ता हुआ अब 60 से 65% तक होने लगा है. हालांकि प्री-कोविड स्तर से अभी भी करीब 35 से 40% कम हो रहा है. इस कारण पावरलूमों में उत्पादन भी 60 से 65% ही हो रहा है. क्योंकि मांग कम होने के साथ मजदूरों की भी शॉर्टेज है. हालांकि अब कोरोना का खतरा कम होने से मजदूर लौट रहे हैं और दीवाली बाद ट्रेनें शुरू होने से अधिक संख्या में मजदूर मुंबई आ जाएंगे. – पुरुषोत्तम खेतान, निदेशक, कीर्ति पॉलिटेक्स प्रा. लिमिटेड