प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Loading

नागपुर. मार्च 2020 में लगे ऐतिहासिक लॉकडाउन के दौरान पूरे देश में ट्रेनें बंद कर दी गई. 2 महीने बाद स्पेशल ट्रेनें शुरू की और कई यात्री सुविधायें बंद कर दी गई. अनलॉक प्रक्रिया के अभी तक रेलवे ने करीब 70 प्रतिशत से अधिक ट्रेनें दोबारा शुरू कर दी, लेकिन कई सुविधाओं को अब भी लॉक करके रखा हुआ है. इनमें सीनियर सिटीजन और मासिक सीजन टिकट जैसी सुविधायें भी शामिल हैं. इससे रेलवे के प्रति यात्रियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है.

न रियायत, न कंबल-चादर

लॉकडाउन के पहले तक ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट मिलती थी, जो बंद कर दी गई. अब पुन: ट्रेनें तो चालू कर दी गईं, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण किराए में छूट वाली सुविधा अब तक शुरू नहीं की है. ट्रेनों में आरक्षित टिकट पर यात्रा करने वाले यात्रियों को मुफ्त मिलने वाले कंबल, चादर, बेडशीट अब तक नहीं मिल रहे हैं. यह सुविधा संक्रमण को रोकने का हवाला देकर बंद की गई है. इसकी जगह एक बार उपयोग करने वाले चादर, कंबल व बेडशीट रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन यात्रियों को इसके लिए अलग से रुपए चुकाने पड़ रहे हैं. यात्रियों का कहना है कि यह रेलवे की जिम्मेदारी है कि उन्हें आरक्षित टिकट लेने पर एक बार उपयोग किए जाने वाले चादर, कंबल, बेडशीट इत्‍यादि नि:शुल्क उपलब्ध कराएं, लेकिन इनके लिए भी शुल्क लिया जा रहा है.

छोटे स्टेशनों पर स्‍टॉपेज किये खत्म

इन दिनों सबसे अधिक नुकसान छोटे स्टेशन के यात्रियों का हो रहा है. रेलवे ने देशभर की ट्रेनों के टाइम टेबल की समीक्षा के बाद कई छोटे स्टेशनों के स्टॉपेज बंद कर दिये. मार्च 2020 से पहले जहां 20 से अधिक मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें रुकती थीं वहां अब मुश्किल से 4 या 5 ट्रेनों को रोका जा रहा है. जबकि पूरी 20 ट्रेनें रही है. यह बात लाखों यात्रियों को ज्यादा खल रही है. खासकर छोटे स्टेशनों से सफर करके नागपुर, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, सिकंदराबाद, रायपुर, बिलासपुर, हावड़ा, भोपाल, ग्वालियर, झांसी, आगरा, लखऊन और दिल्ली जैसे शहरों के लिए अक्सर यात्रा करते हैँ. अब उन्हें पहले अपने घर से बड़े स्टेशन के लिए बस पकड़नी पड़ रही है. 

नहीं मिल रहा रिजर्वेशन

छोटे स्टेशनों के यात्रियों को ‘नो रिजर्वेशन’ और ‘वेटिंग लिस्ट’ की परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ रेलवे सख्त नियम बना रखा है कि केवल कन्फर्म रिजर्वेशन टिकट वाले यात्री ही ट्रेन में सवार हो सकेंगे. दूसरी तरफ, छोटे स्टेशनों से सवार होने वाले यात्रियों को लंबी वेटिंग लिस्ट की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ट्रेनों के स्टॉपेज जरूर दे दिये गये लेकिन कन्फर्म सीट न मिलने से यात्री इन ट्रेनों को लाभ ही नहीं उठा पा रहे. इस तरफ भी रेलवे का कोई ध्यान नहीं है. यदि छोटे स्टेशनों के लिए पैसेंजर ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर मुख्य शहरों से जोड़ा जाए, तो यात्रियों की नाराजगी खत्म हो सकती है.

बोर्ड भी सुनना नहीं चाहता : बसंत कुमार शुक्ला

भारतीय यात्री केन्द्र के बसंत कुमार शुक्ला ने कहा कि रेलवे को स्पेशल ट्रेनों में केवल अपना फायदा दिख रहा है. स्पेशल ट्रेनों में सीनियर सिटीजन कोटा, कैंसर पेशेंट कोटा, स्टूडेंट कोटा, वूमेन्स कोटा जैसी सुविधाओं पर ताला लगा रखा है. 70 प्रश ट्रेनें शुरू करने का मतलब है कि कोरोना संक्रमण काल के बावजूद रेलवे को दोबारा बड़ी संख्या में यात्री मिल रहे हैं. ऐसे में रेलवे नियमित ट्रेनें ही क्यों शुरू नहीं कर देती.