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नागपुर. भारी आर्थिक अड़चन में चल रही महावितरण के राज्यभर की स्थानीय निकाय संस्थाओं जैसे मनपा, पंचायत समिति, ग्राम पंचायतों, जिला परिषदों, नगर परिषदों पर बिजली बिल के 7,208 करोड़ रुपये बकाया है. इन संस्थाओं के स्ट्रीट लाइट, जलापूर्ति योजनाओं के वर्षों से बिल जमा नहीं किए गए हैं. बकाया लगातार बढ़ता ही जा रहा है. अब महावितरण ने 15वें वित्त आयोग की निधि से

महावितरण कम्पनी की 100 फीसदी बकाया राशि काटकर सीधे महावितरण के खाते में जमा करने की विनती राज्य सरकार से की है. इसके पूर्व सरकार ने 14वें वित्त आयोग की निधि से बकाया की 50 फीसदी रकम सीधे महावितरण को दी थी. स्थानीय निकाय संस्थाओं को वित्त आयोग की ओर से ग्राम विकास व नगर विकास विभाग के मार्फत दी जाती है. अक्टूबर के अंत तक महावितरण का 7,208 करोड़ रुपये उन संस्थाओं पर बकाया था. 

2 वर्ष पूर्व मिला था 50 फीसदी

बताया गया कि वर्ष 2018 में सरकार के निर्णय अनुसार जलापूर्ति योजना और स्ट्रीट लाइट के बिल का मार्च 2018 तक के बकाया की 50 फीसदी रकम 1,370.25 करोड़ रुपये 14वें वित्त आयोग की निधि से सीधे महावितरण के खाते में जमा की गई थी. वहीं नगर विकास विभाग के पास मूल बकाया का 50 फीसदी 197.52 करोड़ बकाया था जिसमें से 134.17 करोड़ प्राप्त हुए हैं. 63.35 करोड़ अभी भी बकाया हैं. स्थानीय निकाय संस्थाओं द्वारा पुराना बकाया तो नहीं दिया जा रहा है, साथ ही नियमित बिलों का भुगतान भी नहीं हो रहा है. मार्च 2020 तक स्ट्रीट लाइट व जलापूर्ति योजनाओं का बकाया बिल 6,200 करोड़ रुपये था जो अब अक्टूबर अंत तक 7,208 करोड़ हो चुका है.