नागपुर. न्यू कामठी पुलिस थाना में दर्ज एक मामले में मंगलवार को जिला सत्र न्यायालय के अति. सत्र न्यायाधीश ए.डी. सालुंके ने कुख्यात रंजीत सफेलकर के साथी नीलेश ठाकरे और राकेश गुप्ता को 50 हजार रु. के निजी मुचलके और सबूतों और गवाहों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए. दोनों अभियुक्त की ओर से अधि. प्रकाश जायसवाल, अधि. पंकज गुप्ता, अधि. आशीष नायक तथा सरकार की ओर से अधि. अभय चिकार ने पैरवी की. अभियोजन पक्ष के अनुसार रवि गोडे ने न्यू कामठी पुलिस थाना में शिकायत दर्ज की थी. जिसमें बताया था कि उसकी कुछ सम्पत्ति युएलसी के तहत है. 8 अगस्त 2008 को उसके पुत्र शुभम को रंजीत सफेलकर और उसके साथियों ने अगुवा कर लिया था. पुत्र की कनपटी पर पिस्तौल रखकर खरीदी बिक्री के दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर कराए थे.
प्लॉट बनाकर बेच दी जमीन
शिकायतकर्ता के अनुसार सफलेकर और उसके साथियों ने 5 लाख रु. भी दिए थे. फरवरी 2009 में संजय धापोड़कर उसके घर आया था. जिसने जमीन के पैसे देने की इच्छा जताई थी. जिसके लिए 2 लाख रु. का चेक भी दिया. 25 जनवरी 2011 को सफेलकर और धापोड़कर पुन: घर आए थे. उन्होंने खरीदी-बिक्री में कुछ दुरुस्ती होने की जानकारी देकर रजिस्ट्रार ऑफिस चलने को कहा. जहां खरीदी बिक्री पर मुहर लगाई गई. यहां पर भी 3 लाख का चेक दिया गया. जिसके बाद उन्होंने जमीन को प्लॉट में बदलकर करोड़ों रु. कमाए. सुनवाई के दौरान अधि. जायसवाल ने कहा कि 14 वर्षों बाद शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज की थी. यहां तक कि सफेलकर द्वारा दर्ज शिकायत के बाद शिकायतकर्ता भी वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया गया था. संजय धापोड़कर को दूसरी खरीदी-बिक्री करके देने के मामले में यह शिकायत की गई थी.
शिकायतकर्ता के बयान में विसंगति
बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने कहा कि शिकायतकर्ता के बयान में काफी विसंगतियां हैं. इसी जमीन को उसने पहले 2003 में बेची थी. जिसके बाद 2005 में उसने किसी एक व्यक्ति को इसकी पावर ऑफ अटर्नी दी थी. जिससे शिकायतकर्ता के बयान पर संदेह से इनकार नहीं किया जा सकता है. खरीदी-बिक्री पर मुहर लगाते समय रजिस्ट्रार के सामने पैसे स्वीकृत किए गए थे. 2015 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. जिसके बाद बैंक के वित्तीय लेनदेन भी किया गया. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.