Nagpur High Court
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    • 254 सदस्य वकीलों के हस्ताक्षर का सौंपा पत्र

    नागपुर. कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के बाद वर्तमान में इसका प्रकोप नियंत्रण में है. इसके बावजूद स्थिति सामान्य नहीं होने से जहां एक ओर व्यापारी वर्ग की ओर से आंदोलन किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विधि क्षेत्र भी प्रभावित हो रहा है. इसलिए अब आम तौर पर होने वाली सामान्य स्तर की (फिजिकल हियरिंग) सुनवाई करने की मांग को लेकर बुधवार को तमाम वरिष्ठ वकीलों के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता को 254 वकीलों के हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपा.

    उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश गत एक सप्ताह से नागपुर बेंच में मामलों की सुनवाई ऑनलाइन कर रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश नागपुर बेंच में उपलब्ध होने का लाभ उठाते हुए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों ने वरिष्ठ वकीलों के नेतृत्व में हाई कोर्ट को सामान्य स्तर पर शुरू करने की मंशा जताई. बुधवार को वरिष्ठ वकील एम.जी. भांगडे, अधि. सुबोध धर्माधिकारी, अधि. सुनील मनोहर, अधि. आनंद जायसवाल, अधि. एस.के. मिश्रा, अधि. मुकेश समर्थ के साथ एचसीबीए का शिष्टमंडल मुख्य न्यायाधीश से मिला.

    16 माह से ऑनलाइन चल रही 

    मुख्य न्यायाधीश को सौंपे गए ज्ञापन में सदस्य वकीलों का मानना था कि मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा के बाद से 16 माह से सुनवाई ऑनलाइन की जा रही है. केवल साढ़े 3 माह नियमित सुनवाई हो पाई थी. ऑनलाइन पद्धति से हो रही सुनवाई के चलते कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ रही है. कई बार याचिकाकर्ता और प्रतिवादी पक्ष के वकीलों के बीच उचित संवाद नहीं हो पाता है.

    इंटरनेट उपयुक्त नहीं होने से कई बार सुनवाई नहीं हो पाती है. अब विशेष रूप से नागपुर शहर में कोरोना पूरी तरह नियंत्रण में है. नाममात्र में कोरोना बाधित उजागर हो रहे हैं जिससे वर्तमान समय सामान्य स्तर की सुनवाई के लिए योग्य है. जनवरी और फरवरी 2021 में सामान्य स्तर की सुनवाई शुरू की गई थी किंतु बाद में पुन: बंद कर दी गई. 

    जल्द ही सकारात्मक निर्णय

    मुख्य न्यायाधीश को सौंपे गए पत्र में बताया गया कि हाई कोर्ट में अधिकांश लोगों का वैक्सीनेशन भी हो चुका है. मुंबई की तरह वकील और उनके पास कार्यरत कर्मचारी स्वयं के वाहनों से आवाजाही करते हैं. हाई कोर्ट और निचली अदालतों में वकीलों के पर्याप्त कमरे और अन्य सुविधाएं भी हैं. कोर्ट में किसी तरह की भीड़ होने की संभावना भी नहीं है.

    यहां तक कि कुछ पाबंदियां लगाकर कोर्ट परिसर में भीड़ को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है. ऑनलाइन से निश्चित ही आवश्यक मामलों की सुनवाई हो सकती है लेकिन इसकी सीमा है. लंबी चर्चा के बाद मुख्य न्यायाधीश ने सकारात्मक विचार करने का आश्वासन दिया.