RTMNU, nagpur University

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नागपुर. परीक्षा, परिणामों की योजना, अकेले डिग्रियों के वितरण से बहुत कुछ हासिल नहीं होगा. विश्वविद्यालय का दायरा इतना सीमित नहीं होना चाहिए. विश्वविद्यालयों को ग्रामीण विकास का केंद्र होना चाहिए. हमें यह देखना होगा कि ग्रामीण क्षेत्र आर्थिक रूप से कैसे विकसित हों. कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सफल प्रयोग करने होंगे. खाद्य प्रसंस्करण की कोई जरूरत नहीं होगी, उद्योगों का कोई नेटवर्क नहीं होगा, गांवों को तकनीक मुहैया कराने की जरूरत नहीं होगी. महात्मा गांधी के साथ राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज भी ग्रामीण विकास चाहते थे. यह प्रतिपादन राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. सुभाष चौधरी ने किया.

ग्रामीण विकास में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण

ग्रामीण विकास में प्रौद्योगिकी के महत्व को बताते हुए डॉ. चौधरी ने कहा कि अगर प्रौद्योगिकी में कोई खराबी है तो मरम्मत केंद्र भी गांव में होना चाहिए. ग्राम गीता नागपुर विश्वविद्यालय के ग्रामोन्नति संकल्प की नींव है. उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय ने उस दिशा में एक ऊंची छलांग लगाई है.

व्यावसायिक शिक्षा की ओर अग्रसर

विश्वविद्यालय ने कला, वाणिज्य आदि के स्नातकों को नियमित पाठ्यक्रम के साथ-साथ स्किलबेस कोर्स भी शुरू किया है. बुनियादी ज्ञान को व्यवसाय में विकसित किया गया है ताकि छात्रों को स्नातक होने के बाद व्यापार में स्थिर किया जा सके. उन्होंने कहा कि हम एक व्यवसायोन्मुख शिक्षा प्रणाली की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.

4 लाख छात्रों की फोर्स

यह बताते हुए कि विश्वविद्यालय में 4 लाख छात्रों का बल है. चौधरी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए इस बल को लागू करना हमारा उद्देश्य है. हमने उस दिशा में कदम उठाए हैं. शिक्षकों को सलाह दी जाती है कि वे एक ही नियमित विषयों पर न चलें, बल्कि व्यवसायोन्मुख विषयों को संभालें.

आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की कोशिश

विश्वविद्यालय को अब केवल सरकारी सहायता पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. हम आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ रहे हैं. अब से केवल कॉलेजों को डिग्री देनी होगी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एक संस्थान के रूप में होगा.