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नागपुर. देश विरोधी कार्रवाई किए जाने के आरोप में गड़चिरोली जिला सत्र न्यायालय की ओर से दी गई आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे दिल्ली के प्रो. जी.एन. साईबाबा की ओर से मां की बीमारी का हवाला देते हुए पैरोल की छुट्टी प्रदान करने के लिए हाईकोर्ट में दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश रवि देशपांडे और न्यायाधीश अमित बोरकर ने राहत देने से इंकार कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई और अधि. बरूनकुमार तथा राज्य सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील प्रशांत सत्यनाथन ने पैरवी की.

भाई कर रहा मां की देखभाल
दोनों पक्षों की ओर से दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि पैरोल के लिए याचिकाकर्ता की ओर से जेल अधिकारियों के पास अर्जी दायर की गई थी. लेकिन उसे 24 अप्रैल को ठुकरा दिया गया. अर्जी ठुकराते समय अधिकारियों की ओर से 2 मुद्दों को संज्ञान में लिया, जिसमें कैंसर की बीमारी से पीड़ित मां की देखभाल करने के लिए याचिकाकर्ता का भाई उपलब्ध होने का हवाला दिया गया. इसी तरह जिस क्षेत्र में याचिकाकर्ता की मां रहती है, वह पूरा क्षेत्र कोरोना महामारी के चलते कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. जहां याचिकाकर्ता को प्रवेश असंभव है.

लॉकडाउन खुलने के बाद करें अर्जी
अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता की मां आउटडोर पेंशेंट है. यहां तक कि उसके भाई और भाई की पत्नी देखभाल कर रही है. विशेषत: सजा को रद्द करने और जमानत देने की मांग करते हुए दायर अर्जी पहले ही ठुकरा दी गई है. सरकारी पक्ष की ओर से भी उक्त क्षेत्र कंटेनमेंट जोन घोषित होने का खुलासा किया गया, जिससे याचिकाकर्ता को वहां जाने के लिए छूट देने का औचित्य ही नही बनता है. अदालत ने अर्जी ठुकराने के साथ ही लॉकडाउन खुलने और क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन से बाहर करने के बाद अर्जी करने की स्वतंत्रता भी प्रदान की.