RTMNU, nagpur University

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नागपुर. कोरोना संकट के कारण राज्यभर के विश्वविद्यालयों में केवल अंतिम वर्ष की ही परीक्षा ली जाने वाली है, जबकि प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा रद्द कर दी गई है. ‘मास्वे’ के संस्थापक अध्यक्ष अंबादास मोहिते ने परीक्षा आनलाइन या बहुपर्यायी प्रश्न पद्धति से लेने की मांग की है. कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. स्थिति यही रही तो अंतिम वर्ष की परीक्षा लेना भी मुश्किल हो जाएगा. अब तो सरकार अंतिम वर्ष की परीक्षा को भी रद्द करने का विचार कर रही है. यही वजह है कि छात्रों व पालकों में संभ्रम की स्थिति बनी हुई है, लेकिन परीक्षा नहीं होने से छात्रों का ही नुकसान होगा.

वर्षभर की तैयारी बेकार चली जाएगी. साथ ही भविष्य में भी दिक्कतें आएंगी, मोहिते ने बताया कि वर्तमान में नेट, सेट, एमबीए सहित अन्य परीक्षाएं आनलाइन ली जाने लगी हैं. इस हालत में सरकार को भी विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं आनलाइन लेना चाहिए. परीक्षा का पैटर्न बदलकर यदि बहुपर्यायी किया गया तो और भी आसानी होगी. अलग-अलग चरण में परीक्षा लिये जाने से सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन होगा.

शुल्क में मिले राहत
इस बीच विवि द्वारा शैक्षणिक शुल्क में ५० प्रतिशत की सहूलियत देने की मांग उठने लगी है. हाल ही में कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विवि ने कुछ पाठ्यक्रमों की ५० से 100 प्रश तक शुल्क माफी की घोषणा की है. इसी तर्ज पर विवि द्वारा निर्णय लिया जाना चाहिए. व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की फीस अधिक होती है. कोरोना के कारण कई लोगों की नौकरी चली गई, वहीं व्यवसाय भी चौपट हो गया है. भारी-भरकम फीस भरना पालकों के लिए मुश्किल होगा. यदि विवि द्वारा राहत दी गई तो पालकों का टेंशन कम होगा. इस संबंध में नागपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (नूटा) ने उपकुलपति को पत्र भी भेजा है.