Representational Pic
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  • आर्थिक संकट में टाइपिंग संस्था चालक

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नागपुर. लॉकडाउन के साथ ही राज्यभर में जहां सब कुछ बंद हो गया, वहीं टाइपिंग, शार्ट हैंड और कम्प्यूटर संस्थाएं भी बंद हो गईं. लगा था कि कुछ ही दिनों में लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, लेकिन अब तक कोई भरोसा नहीं है. करीब ढाई महीने से संस्थाएं बंद होने से उन पर आर्थिक संकट गहरा गया है. संस्था की बदौलत परिवार का पालन-पोषण करने वाले अब सरकार से आर्थिक मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं.

दरअसल स्कूल-कालेज की परीक्षाएं खत्म होने के बाद अधिकांश छात्र टाइपिंग, शार्ट हैंड और कम्प्यूटर क्लास लगाते हैं, लेकिन इस बार गर्मी की छुट्टियों से पहले ही कोरोना प्रकोप के चलते लॉकडाउन हो गया. 18 मार्च से सभी संस्थाएं बंद हो गईं. गर्मी की छुट्टियों में जो एडमिशन होने वाले थे, वे भी रद्द हो गये. दरअसल संस्थाओं के लिए यही एकमात्र जीवनयापन का साधन होने से समस्या गंभीर हो गई है. इस संबंध में महाराष्ट्र राज्य क्षेत्रीय टाइपराइटिंग व शार्ट हैंड सोसाइटी की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर आर्थिक मदद की मांग की गई है. सिटी में करीब 150 संस्थाएं हैं. अब स्थिति यह है कि किराये से लेकर बिजली बिल तक भरना मुश्किल हो गया है.

सरकार से किसी भी तरह का अनुदान व मानधन नहीं मिलता. पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रशासकीय स्तर पर लगने वाले संगणक टाइपिस्ट व स्टेनो तैयार किये जाते हैं. संस्था का सभी खर्च छात्रों से मिलने वाली फीस पर ही निर्भर रहता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से स्थिति खराब हो गई है. संस्था का किराया, बिजली बिल सहित परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. संकट के इस दौर में सरकार द्वारा प्रत्येक टाइपिंग संस्था को मासिक 25,000 रुपये मानधन दिया जाना चाहिए, साथ ही संस्था का वार्षिक नवीनीकरण शुक्ल, मैन्युअल टाइपिंग नवीनीकरण शुल्क भी माफ किया जाना चाहिए. – वामन लांजेवार, अध्यक्ष, टाइपराइटिंग व शार्ट हैंड सोसाइटी.

वैसे भी पहले की तुलना में संस्थाओं की हालत कमजोर है. लॉकडाउन ने रही-सही कसर पूरी कर दी. अब तो सरकार के भरोसे ही है. आर्थिक मदद मिल जाये तो ही संस्थाएं शुरू की जा सकती हैं अन्यथा संस्था चालकों पर भुखमरी की नौबत आ जाएगी. मुख्यमंत्री को गंभीरता से विचार करना चाहिए. – अनिल बोरकर, सचिव.

सरकार से अनुरोध है कि चालू सत्र रद्द न कर नवंबर 2020 में संगणक टाइपिंग और टंकलेखन-लघुलेखन की परीक्षा ली जाये. संकट के इस दौर में फंसे संस्था चालकों को शासन की ओर से 25,000 रुपये मासिक या 3 महीने की एकमुश्त 1,50,000 की आर्थिक मदद की जाये. – राजेंद्र डफरे, कोषाध्यक्ष.