नागपुर. संजय राउत का जन्म 15 नवंबर 1961 को महाराष्ट्र के अलीबाग में हुआ। राउत के पिताजी का नाम राजाराम राउत और माता का नाम श्रीमति सविता राजाराम राउत है। उन्होंने डॉ.अंबेडकर कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से बैचलर ऑफ कॉमर्स (बी.कॉम) किया। 16 फरवरी 1993 को उनकी शादी वर्षा राउत से हुई। उनकी दो बेटियां हैं- पूर्वाक्षी राउत और विदिता राउत। राउत मराठी अखबार सामना के कार्यकारी संपादक भी हैं जो शिवसेना पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे द्वारा प्रकाशित किया जाता है। 2019 में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे पर बनी बायोपिक फिल्म ‘ठाकरे’ के लेखक संजय राउत हैं। वह महाराष्ट्र के हिंदू समाज की उच्च जाति समुदाय, सोमवंशी क्षत्रिय पठारे पंचकलशी से तालुख रखते हैं।
पहली बार 2000 में महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उन्हें 2005 में शिवसेना के नेता के रूप में नियुक्त किया गया था। 2005 में उन्हें गृह मामलों की समिति और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। 2010 में, उन्हें उपभोक्ता मामलों, खाद्य, सार्वजनिक वितरण और बिजली मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।
2016 में, उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया। 13 अप्रैल 2015 को संजय राउत पर कई राजनीतिक दलों ने सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। राउत द्वारा लिखित शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक लेख में मुसलमानों के वोटिंग अधिकारों को लेकर बवाल हुआ था। लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसी बात सुनकर घृणा हुई है और भारत एक लोकतांत्रिक देश है न कि तालिबानी राज्य। इसके अलावा राउत ने कबूल किया कि वह अंडरवर्ल्ड के संपर्क में भी थर और दाऊद इब्राहिम से उन्होंने मुलाकात की थी।
संजय राउत अकेले ही बाकि राजनीतिक दलों को जवाब देने की ताकत रखते हैं। जब गठबंधन सरकार के दौरान बीजेपी को राउत के बोल असहज लगने लगे तो ठाकरे तो उनकी शिकायत कुछ बीजेपी नेताओं ने की, लेकिन राउत रुके नहीं। इससे यह साफ हो गया कि राउत पर उद्धव का कितना भरोसा है। राउत अपने वचन के पक्के हैं, साथ ही शिवसेना द्वारा आज भी निडर होकर काम करने में उनका बहुत बड़ा योगदान हैं।