GMCH

Loading

नागपुर. एक 4 दिन का बच्चा जिसे अभी अपना नाम भी नहीं मिला हो. एक ओर जहां परिवार वाले उसके जन्म की खुशी मना रहे थे, वहीं अचानक शोक की लहर फैल गई. नवजात बच्चे के अन्नप्रणाली और श्वासनली आपस में जुड़े होने के कारण उसे दूध और पानी नहीं पचता था. डॉक्टर के अनुसार, रिश्तेदारों ने बच्चे को जिंदा छोड़ दिया था. लेकिन कहते हैं न कि जाको राखे साईंया मार सके न कोई. उस नवजात के लिए मेडिकल में बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के डॉक्टर देवदूत साबित हुए. डॉक्टर के प्रयास से नवजात की दुर्लभ सर्जरी सफल रही और बच्चे को नया जीवन मिला. फिलहाल बच्चे को मेडिकल के वार्ड क्र. 3 में रखा गया है. अब बच्चा 6 दिन का हो गया है. नम आंखों के साथ बच्चे के माता-पिता ने डॉक्टर को धन्यवाद दिया.

एक साथ जुड़े थे अन्नप्रणाली, श्वासनली

बच्चे का जन्म नागभीड के एक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ था. उसके माता-पिता का नाम प्रिया और स्वप्निल है. पिता किसान हैं. 9 दिसंबर को बच्चे के जन्म की खुशखबरी के साथ डॉक्टर ने कहा कि नवजात की अन्नप्रणाली और श्वासनली आपस में जुड़े हुए हैं. बच्चे के शरीर में जटिलताएं थीं. दूध या पानी उसे पच नहीं रहा था और बाहर आ जा रहा था. स्थिति को नाजूक होते देख नागभीड के डॉक्टरों ने उन्हें नागपुर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया. निजी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा बताया गया खर्च परिवार की बस के बाहर था. इसके बाद इलाज के लिए माता-पिता मेडिकल पहुंचे. मेडिकल में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने नवजात की तुरंत सर्जरी की. सर्जरी के बाद बच्चे को सलाइन लगाया गया. अभी बच्चे की स्थिति समान्य है और वार्ड क्र. 3 में उसका उपचार शुरू है.

डॉक्टर की आंखे भर आई

डॉक्टरों ने परिजनों को सूचित किया कि दो दिन के बच्चे की सर्जरी सफल रही. यह खबर सुनकर रिश्तेदारों की आंखों में खुशी के आंसू भर आए. उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे. मुझे नहीं पता था कि डॉक्टर को कैसे धन्यवाद देना चाहिए. बच्चे के पिता स्वप्निल ने दोनों हाथ जोड़कर ‘डॉक्टर साहब…’ शब्द बोला और उनकी आँखों में पानी आ गया. उन्होंने डॉक्टर को धन्यवाद दिया. इसे देखकर डॉक्टर की आंखों में आंसू भर आए.

मेडिकल या सुपर स्पेशलिटी गरीबों के लिए है. यहां हर विभाग में गुणात्मक परिवर्तन के माध्यम से रोगी देखभाल के धर्म का पालन किया जाता है. अधिष्ठाता डॉ. सजल मित्रा के साथ में सभी विभाग प्रमुखों से मूल्यवान समर्थन प्राप्त होता है. आपातकालीन सेवाओं को वसा मेडिकल द्वारा स्वीकार किया जाता है. गरीब मरीजों के हित को मेडिकल में पूरा किया जात है. रोगी की देखभाल में बड़ा संतुष्टि है. 

-डॉ. अविनाश गावंडे, वैद्यकीय अधीक्षक, मेडिकल.