Eknath Khadse
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  • खड़से समर्थक और ओबीसी कार्यकर्ता मिलकर करेंगे पार्टी को मजबूत
  • विधायक देवयानी खडसे समर्थक
  • उत्तर महाराष्ट्र की राजनीति में बदलाव की सम्भावना

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नाशिक. भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने भाजपा छोड़ने और राकां में शामिल होने का फैसला किया है. इससे उत्तर महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होने की संभावना है. हालांकि विधायक देवयानी फरांदे नाशिक में खडसे की समर्थक हैं, लेकिन उन पर संदेह करने का कोई सवाल नहीं है, क्योंकि वे भाजपा के प्रति वफादार रही हैं और पार्टी ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है. नाशिक में लेवा पाटिल समुदाय की महत्वपूर्ण संख्या भाजपा के वोटों को प्रभावित करेगी, जिससे एनसीपी को लाभ होने की संभावना है. 

खडसे का उत्तर महाराष्ट्र में प्रभाव है, लेकिन यह प्रभाव जलगांव, धुलिया, नंदुरबार तक ही सीमित है. खडसे के नाशिक में बड़ी संख्या में समर्थक हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस और गिरीश महाजन ने उनके समर्थकों की संख्या कम कर दी है. देवयानी फरांदे एकमात्र विधायक हैं, जो खडसे समर्थक हैं. लेकिन, खडसे के साथ उन्होंने पिछले पांच वर्षों के लिए ही पार्टी के प्रति वफादार रहने की नीति अपनाई थी. 

फडणवीस व पाटिल के साथ देवयानी के अच्छे सम्बन्ध

हालांकि फरांदे को महाजन का साथ नहीं मिलता, लेकिन देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल के साथ उनके अच्छे संबंध हैं. इसीलिए पार्टी ने उन्हें राज्य महासचिव पद की जिम्मेदारी दी है. हालांकि खडसे ने पार्टी छोड़ दी है, लेकिन भाजपा नेताओं को भरोसा है कि फरांदे पार्टी के प्रति वफादार रहेंगी. इसलिए, यह बताया जा रहा है कि भाजपा में नाशिक में बड़े बदलाव हो सकते हैं. दूसरी ओर, भले ही नाशिक का कोई बड़ा नेता खडसे के साथ नहीं जाता है, लेकिन इस बात की संभावना है कि लेवा पाटिल भाजपा से समाज को अलग कर देंगे. नाशिक में लेवा पाटिल समुदाय की संख्या महत्वपूर्ण है, जबकि खडसे के समर्थक ओबीसी की अन्य जातियों में भी हैं. 

भाजपा के घटेंगे वोट

खडसे के साथ हुए अन्याय के कारण लगता  है कि लेवा पाटिल और ओबीसी के अन्य तत्वों को पार्टी से दूर रखा जाएगा. इसलिए, भाजपा के अधिक वोट एनसीपी में जाने की संभावना है. जबकि भुजबल पहले से ही राकां में एक बड़े ओबीसी नेता हैं, लेकिन नाशिक में राकां की ताकत खडसे के रूप में बढ़ जाएगी.