नाशिक. न्यू नाशिक के रहने वाले एक मरीज की मौत के बाद इस मरीज के नाम पर 2 रेमडेसिवीर इंजक्शन (Remdesivir Injection) लिए गए हैं। ऐसा खुलासा जिला प्रशासन (District Administration) ने किया है। 14 अप्रैल को धनजी लगड़ की मौत हो गई, लेकिन 15 अप्रैल को उसके नाम से रेमडेसिविर ले कर निजी अस्पताल (Private Hospital) को भेजा गया।
उपचारात्मक इंजेक्शनों की कमी के कारण कई जीवन पहले से ही खतरे में हैं, दूसरी ओर प्रशासन का लापरवाही इसे बढ़ावा दे रही है। इससे हर जगह आक्रोश है और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
14 अप्रैल को धनजी की हो गयी थी मौत
गौरतलब है कि धनजी लगड़ का कनाडा कॉर्नर क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था, रेमडेसिविर की आवश्यकता थी। उसे 10 अप्रैल को एक दूसरा इंजेक्शन दिया गया था क्योंकि उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल रहा था। उसे रेमडेसिविर की जरूरत नहीं थी। इलाज के दौरान 14 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। जिला प्रशासन को पूरे दिन की कोरोना रिपोर्ट की जानकारी दी जाती है, हालांकि लगड़ का नाम अस्पताल में 15 अप्रैल को रेमडेसिविर दी जाने वाली सूची में शामिल था। इस घटना से जिला प्रशासन के काम में लापरवाही सामने आई है।
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
तहसीलदार शिवकुमार आवलकंठे रेमडेसिवीर के काले बाजार पर अंकुश लगाने और यह जांचने के लिए ज़िम्मेदार हैं कि इसका अस्पताल में सही तरीके से उपयोग किया जाता है या नहीं, लेकिन जिला अस्पताल की रिपोर्ट, साथ ही मृतक के नाम पर आवलकंठे द्वारा दिए गए इंजेक्शन, इस तरह के मामले प्रकाश में आने से लगता है कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी समाप्त नहीं हुई है। कॉर्पोरेटर बड़गूजर ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि संकलन के समय मृतक के नामों की सूची की जांच क्यों नहीं की गई, और क्या सूची के अन्य रोगियों की स्थिति की नियमित जांच की जाती है।
एक मृत व्यक्ति के नाम पर कैसे इंजेक्शन दी जा सकती है? केवल एक घटना प्रकाश में आई है। सूची की जांच करके अन्य मामले भी सामने आ सकते हैं। बिना उपचार के मरीजों का जीवन खतरे में है। कितने दिनों तक मरीजों और उनके रिश्तेदारों को प्रशासनिक अधिकारी की गलत सज़ा भुगतनी पड़ेगी? कलेक्टर को इस बारे में पूछताछ करनी चाहिए।
- सुधाकर बड़गुजर, पार्षद