‘जनाब’ शब्द आदरसूचक अंग्रेजी के मिस्टर व हिंदी के श्रीमान जैसा

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), शिवसेना ने नए वर्ष का शिवशाही कैलेंडर मराठी (Marathi), अंग्रेजी और उर्दू (Urdu Calendar) भाषा में छपवाया. इस कैलेंडर में इस्लामिक महीने और त्योहारों का भी उल्लेख है. इसके पहले शिवसेना के विभाग प्रमुख पांडुरंग सपकाल अजान स्पर्धा आयोजित कर चुके हैं. आप तो जानते ही हैं कि मस्जिद से तड़के सबेरे मुल्ला अजान देता है. शिवसेना के इन कदमों पर आपकी क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘इससे तो यही लग रहा है कि शिवसेना के रुख में उदारता आई है.

जो पार्टी पाकिस्तान (Pakistan) के साथ क्रिकेट खेलने का तीव्र विरोध करती थी और पिच खोद डालने की बात करती थी तथा जिसे पाकिस्तान के गायकों और फिल्म कलाकारों का भारत आना बिल्कुल नापसंद था, वह इस्लामी महीनों और त्योहारों का नाम कैलेंडर में छापने लगी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, शिवसेना (Shiv Sena) पाकिस्तान का विरोध करती है, वह मुस्लिम विरोधी नहीं है. छत्रपति शिवाजी महाराज फौज में भी कुछ मुस्लिम सिपाही थे. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का कुशल तोपची गौस खां था. तब जो भी बहादुर और वफादार हो, नौकरी पा जाता था. भोसले की सेना में भी अरब लड़ाके शामिल थे.’’ हमने कहा, ‘‘यह सारी बातें अपनी जगह हैं लेकिन बीजेपी नेता व विधायक अतुल भातखलकर तथा पार्टी के आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष आचार्य तुषार भोसले को शिवशाही का उर्दू कैलेंडर बिल्कुल पसंद नहीं आया.

उन्होंने ‘हिंदू हृदय सम्राट से जनाब बालासाहेब ठाकरे तक’ कहकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) एवं शिवसेना को चिढ़ाया है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जनाब कहने में क्या बुराई है? यह भी श्रीमान जैसा आदरसूचक शब्द है. अंग्रेजी में नाम के सामने मिस्टर और फ्रेंच में मोशे लगाया जाता है. मराठी में शुरू में मान्यवर और नाम के अंत में ‘राव’ लगाकर सम्मान दिया जाता है. बौद्धों ने आयुष्मान शब्द अपना रखा है. कोई भी पार्टी अपना दायरा व्यापक करना चाहती है और सभी वर्गों को अपने साथ लेने की सोचती है. शिवसेना अपना हिंदुत्व मजबूत रखते हुए भी ऐसा कर सकती है. जो भी राष्ट्रभक्त उर्दूभाषी है, वह चाहे तो शिवसेना में आ सकता है. इसके अलावा उर्दू सिर्फ मुस्लिमों की भाषा नहीं है. यूपी में उर्दू सेकंड लैंग्वेज का दर्जा रखती है जिसे हिंदू भी पढ़ते हैं. कितने ही हिंदू शायर उर्दू में बहुत ही ऊंचे दर्जे की शायरी करते हैं. चाहें तो जगन्नाथ आजाद या रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी का कलाम पढ़कर देख लें.’’