पापड़ी-चाट से PM नाराज, विपक्ष पकौड़े की बात भी तो कर सकता था

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार चाट-पापड़ी की तरह बिल पास करती चली जा रही है. उनकी इस टिप्पणी से प्रधानमंत्री मोदी बिफर उठे. उन्होंने कहा कि पापड़ी-चाट बनाने की बात करना अपमानजनक बयान है. विपक्ष सिर्फ हंगामा कर रहा है. उसे न तो बहस से मतलब है और न ही संसद के सम्मान से! कागज छीन लेना और टुकड़े करके फेंकना तथा माफी भी न मांगना विपक्ष के अहंकार को दर्शाता है.’’ हमने कहा, ‘‘डेरेक ओ ब्रायन को अपना बयान सोच-समझकर देना चाहिए था.

    वे कह सकते थे कि सरकार विभिन्न बिल बेहद जल्दबाजी या आपाधापी करते हुए पास करा रही है. कुछ बिल तो 5 या 7 मिनट में ही पारित करा लिए गए हैं. उन्होंने चाट-पपड़ी की बात कहकर पीएम को नाराज कर दिया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पपड़ी शब्द पर बुरा मानने की क्या वजह हो सकती है? लोग गुड़-पपड़ी, शक्कर पपड़ी, आम पपड़ी, मैदा पपड़ी स्वाद लेकर खाते हैं. डाक्टर घाव पर मरहम लगा देते हैं ताकि पपड़ी आने पर वह सूख जाए.’’ हमने कहा, ‘‘जब सरकार के पास जबरदस्त बहुमत है तो वह चाहे जितने बिल आनन-फानन में ध्वनि मत से पारित करा सकती है. विपक्ष इसमें कर भी क्या सकता है! यदि मैगी 2 मिनट में बन सकती है तो बिल भी झटपट पास हो सकता है. जल्दबाजी में किए जाने वाले काम को चट मंगनी पट ब्याह भी कहते हैं. सरकार इसी राह पर चल रही है.

    वह अधिक से अधिक काम निपटाने की जल्दी में है. अब बिल विचार के लिए संसदीय समिति के पास नहीं भेजे जाते. पुरानी संसदीय परंपराओं को भुला दिया गया है. नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक तमाम फैसले अचानक लागू किए गए. पूरे देश में लॉकडाउन किए जाने का फैसला भी सरकार ने बिना किसी से राय-मशविरा किए अचानक ही लागू कर दिया था. इतने पर भी सरकार के रवैये को पापड़ी-चाट कहना ठीक नहीं है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘लगता है बीजेपी सरकार को पापड़ी की बजाय पकौड़ा शब्द ज्यादा पसंद आता क्योंकि बेरोजगारी का मुद्दा उठने पर उसके नेताओं ने कहा था कि पकौड़े तलना और बेचना भी एक रोजगार है.’’