पार्टियां दिखातीं सब्जबाग चल रहा मनमाना राज गुम हुई जनता की आवाज

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    पडोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishaenbaaz) पार्टियां चुनाव के समय तरह-तरह के वादे करती हैं, झूठे सब्जबाग दिखाती हैं लेकिन पूरा नहीं कर पातीं. समझ में नहीं आता कि नेता ऐसे लुभावने वादे क्यों करते हैं जिन्हें वे निभा नहीं पाते? ऐसे वादे या अभिवचन सिर्फ तसल्ली देने के लिए होते हैं. उनकी कीमत गुड़ की जलेबी से ज्यादा नहीं होती.’’ हमने कहा, ‘‘यह जलेबी कहां से आ गई? यदि राजनीति के दांव-पेंच की चर्चा करनी है तो राजभोग, राजमलाई, राजकचौरी की बात कीजिए. वादे दिल बहलाव के लिए होते हैं. उन पर ज्यादा भरोसा करेंगे तो बाद में कहना पड़ेगा- वादा तेरा वादा, वादे पे तेरे मारा गया बंदा ये सीधा-सादा.

    जो भी सरकार राज करती है, पूरी तरह निश्चिंत हो जाती है कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. जहां तक राज की बात है, कहीं माफिया राज है तो कहीं गुंडाराज, भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों का राज ऐसा है कि सरकारी योजनाओं की रकम बीच में ही पचा जाते हैं. इसीलिए चुनाव के समय विपक्ष के नेता-कार्यकर्ता नारे लगाते हैं- तख्त बदल दो, ताज बदल दो, बेईमानों का राज बदल दो.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम तो इतना जानते हैं कि राज करने वाले यही चाहते हैं कि उनके बाद उनके बेटे-बेटी राज करने लगें. इसका पूरा इंतजाम वे सत्तासीन रहते हुए ही कर देते हैं. नेताओं के भरोसे उनके दामाद भी हर तरह की कारगुजारी करने के लिए आजाद रहते हैं. परिवारवाद ने पूंजीवाद, समाजवाद सबको पीछे छोड़ दिया है. अपने भाई-भतीजे, बीवी-साली को आगे बढ़ाने में कोई नेता संकोच नहीं करता. खानदान राजतंत्र में भी हुकूमत करते थे और लोकतंत्र में भी करते हैं.

    घरेलू या इन-हाउस ट्रेनिंग इतनी बढ़िया हो जाती है कि बड़ी आसानी से कुर्सी संभाली जा सकती है. यह गांधी का देश है जहां कोई न कोई गांधी हमेशा चर्चा में रहता है. पार्टियां अपनी सुविधानुसार गांधी को बांट लेती हैं. कांग्रेस में सोनिया, (Sonia Gandhi) राहुल (Rahul Gandhi) हैं तो बीजेपी (BJP) में मेनका और वरुण!’’ हमने कहा, ‘‘आप किसी व्यापारी से पूछें तो वह इंस्पेक्टर राज की शिकायत करेगा. सरकार इंस्पेक्टर राज समाप्त करने की और बंधन शिथिल करने की बात करती है लेकिन पुलिस, एक्साइज, इनकम टैक्स इंस्पेक्टर अपनी जगह मौजूद हैं. जिस नेता की शामत आई, उसके पीछे ईडी और सीबीआई लग जाती है. जहां राजनीति है, वहां हर नेता के छुपे हुए राज भी होते हैं. ऐसे नेता की पूर्व प्रेमिका कहती है- होंठों में ऐसी बात मैं दबा के चली आई, खुल जाए वही बात तो दुहाई है दुहाई.’’