नहीं है कोई सात्विक बंगाल के चुनाव में राजसिक व तामसिक

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) बंगाल में राजसिक और तामसिक प्रवृत्तियों के बीच चुनावी संघर्ष हो रहा है लेकिन सात्विक प्रवृत्ति पूरी तरह नदारद है.’’ हमने कहा, ‘‘प्रवृत्ति-निवृत्ति की बात छोड़िए, बंगाल की प्रकृति को समझिए. देखना होगा कि वहां जनमत किसे स्वीकृति देता है और चुनावी नतीजों के बाद किसकी आकृति उभरकर सामने आती है. वैसे फिलहाल तो इस राज्य में विकृति ही नजर आ रही है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बंगाल की महान संस्कृति का स्मरण करें तो रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद विद्यासागर, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, महाश्वेता देवी, आनंदमयी माता, केशबचंद्र सेन के नाम याद आते हैं.

    स्वाधीनता संग्राम की उल्लेखनीय महिला नेता सरोजिनी नायडू भी बंगाल की थीं. उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था. सर आशुतोष मुखर्जी की विद्वत्ता का लोहा अंग्रेज गवर्नर जनरल भी मानते थे. उन्हीं के बेटे डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की थी. अटल बिहारी वाजपेयी उन्हीं श्यामाप्रसाद मुखर्जी के निजी सहायक या पीए थे. आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो प्रेमावतार निमाई या गौरांग चैतन्य महाप्रभु भी बंगाल में हुए थे. इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद भी बंगाल में जन्मे थे. इसी प्रदेश के स्वामी योगानंद ने अमेरिका के लॉस एंजिल्स में सेल्फ रियलाइजेशन सोसाइटी का मुख्यालय स्थापित किया था. वे क्रियायोग के महान प्रवर्तक थे. क्रांतिकारियों में खुदीराम बोस, जतिन दास, शचीन्द्रनाथ लाहिड़ी का नाम कौन नहीं जानता! रासबिहारी बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी जिसको बाद में सुभाष बाबू ने समर्थ नेतृत्व दिया. फिल्मों की बात करें तो महान निर्देशक सत्यजीत रे का नाम दुनिया में मशहूर रहा है.

    उत्तम कुमार, सौमित्र चटर्जी, उत्पल दत्त, सुचित्रा सेन, शर्मिला टैगोर, मौसमी चटर्जी आदि अभिनय क्षेत्र की मशहूर हस्तियां रही हैं.’’ हमने कहा, ‘‘आपने बहुत लंबा व्याख्यान दे दिया. अभी बंगाल में ममता बनर्जी तामसिक रूप दिखाते हुए कह रही हैं कि मोदी को रस्सी से बांधकर पीटना चाहिए. उन्होंने चुनाव ड्यूटी में लगे जवानों को यूपी-बिहार के गुंडे कहा. बीजेपी के शीर्ष नेताओं को बाहरी लोग करार दिया. दूसरी ओर मोदी राजसिक प्रवृत्ति के हैं जो हर जगह बीजेपी का प्रभुत्व चाहते हैं. जब राहुल गांधी ने सूटबूट की सरकार कहकर तंज कसा तो मोदी ने सोने के तार वाला नौलखा सूट पहनना छोड़ दिया. बंगाल की खूनखराबे वाली राजनीति में सात्विक कुछ भी नहीं रह गया.’