वैक्सीन से करिए लव, उत्साह से मनाइए टीका उत्सव

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) आपने टीका उत्सव (Tika Utsav) मनाया या नहीं? अगर नहीं मनाया तो पूरी मौज मस्ती के साथ इसके लिए तैयार हो जाइए. उत्सव के लिए उत्साह जरूरी होता है. उसकी कमी मत होने दीजिए.’’ हमने कहा, ‘‘अजीब सी बात है! टीका लगवाने में कौन सा उत्सव! हमने बचपन से स्माल पॉक्स, बीसीजी के टीके लगवाए लेकिन इसका कोई जश्न या उत्सव नहीं मनाया. एक जमाना था जब स्कूलों में बच्चों की नाजुक कलाई पर 2 जगह नुकीली चकदी घुमाकर माता का टीका लगा दिया जाता था. ये बच्चे उत्सव नहीं मनाते थे बल्कि रोना शुरु कर देते थे. पुराने लोगों की बांह पर लगे चेचक के टीके के निशान आज तक नहीं मिट पाए.

    फिर अभिभावकों ने सोचा कि बाहों पर निशान न पड़ने पाए इसलिए बच्चों को जांघ पर टीका लगवाना शुरु किया था. अब तो बच्चे को काली खांसी या डिप्थीनीया वगैरह के कितने ही टीके बाल रोग चिकित्सक लगा देता है. यह रुटीन बन गया है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज हमें बाकी टीकों के बारे में मत बताइए. अभी कोरोना से बचने के लिए कोविशील्ड या कोवैक्सीन का टीका लेना  जरूरी है. प्रधानमंत्री की सलाह मानकर इसे उत्सव के रूप में मनाइए.

    जैसे कोई प्रेमी कहता है कि मैंने प्यार किया वैसे ही आप भी मुस्कुराकर कहिए- मैंने टीका (Corona Vaccination) लिया! आपके लिए लिए सर्टिफाइड टीका होल्डर बनने का सुनहरा मौका है. आपको टीका लगाने पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर वाला सर्टिफिकेट मिलेगा. चाहें तो इसे फ्रेम करके घर की दीवार पर टांग दीजिए.’’ हमने कहा, ‘‘यह सब चौंचले आप ही कीजिए. नेहरु, इंदिरा, लालबहादुर शास्त्री के जमाने में टीका लेने पर प्रधानमंत्री की तस्वीरवाला कोई सर्टिफिकेट नहीं मिलता था. उन महान नेताओं को खुद प्रचार या पब्लिसिटी की इतनी भूख नहीं थी. पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज समय के साथ चलिए. मोदी की सूझबूझ की दाद दीजिए. टीका लेकर उत्सव मनाइए और पीएम के फोटो वाले सर्टिफिकेट से घर को सजाइए.’’