Lakshmi Vilas Hotel

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जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने उन याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी, जिनमें उदयुपर स्थित लक्ष्मी विलास पैलेस होटल (Lakshmi Vilas Palace Hotel) को दो दशक पहले बेचने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी (Arun Shourie) तथा चार अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को निरस्त करने का आग्रह किया गया है। पिछले महीने विशेष सीबीआई अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बाद आरोपी उच्च न्यायालय पहुंचे थे।

उच्च न्यायालय ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन उनसे निचली अदालत में जमानत और मुचलका राशि जमा करने को कहा था। आरोपियों में से एक के वकील निशांत बोरा ने बताया कि मामले पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन समय की कमी की वजह से सुनवाई सोमवार अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस बीच, सीबीआई अदालत ने भी मामले में सुनवाई पांच नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी क्योंकि आरोपियों ने दलीलों के लिए कुछ और समय मांगा।

आरोपियों के वकीलों में से एक ने कहा कि सीबीआई अदालत के पीठासीन अधिकारी पूरण कुमार शर्मा ने उनके मुवक्किलों का आग्रह मान लिया और सुनवाई पांच नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। अरुण शौरी ने होटल की बिक्री में किसी भी तरह की अनियमितता से बुधवार को इनकार किया था।

मामला अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय पर्यटन विकास निगम के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को एक निजी कंपनी को बेचे जाने से जुड़ा है। यह होटल 7.52 करोड़ रुपये में भारत होटल्स लिमिटेड को बेच दिया गया था। उस समय शौरी केंद्र की राजग सरकार में विनिवेश मामलों के प्रभारी मंत्री थे।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने प्रारंभिक जांच के दौरान होटल की कीमत 252 करोड़ रुपये आंकी थी और कहा गया था कि कम दाम में इसकी बिक्री से सरकारी खजाने को 244 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मामले में अन्य आरोपी- पूर्व विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल, लजार्ड इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आशीष गुहा, भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी और होटल का मूल्य आंकने वाले कांतिलाल विकाम्से हैं। (एजेंसी)