Health workers on strike, work in Sadar Hospital stalled

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    ओमप्रकाश मिश्र 

    रांची. दो अंशकालिक स्वास्थ्य कर्मचारियों (Health Workers) को काम से वापस भेजने के विरोध में आज सुबह से सदर अस्पताल (Sadar Hospital) के स्थायी और अंशकालिक स्वास्थ्य कर्मचारी, सिविल सर्जन के खिलाफ धरने पर बैठ गए। जिससे अस्पताल में स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी काम ठप पड़ गए। कोरोना जांच का भी काम रोक दिया गया जिससे कोरोना संक्रमित मरीजों को बिना जांच के ही अस्पताल से वापस लौटना पड़ा। सदर अस्पताल रांची में प्रतिनियुक्त दो स्वास्थ्य कर्मचारी संजय सिंह और शैलेन्द्र भारद्वाज को काम से हटाए जाने के विरोध में सिविल सर्जन के खिलाफ आज दर्जनों कर्मचारी धरने पर बैठ गए। धरने पर बैठे कर्मचारी सिविल सर्जन से वापस उनकी प्रतिनियुक्ति कराने की मांग कर रहे हैं। 

    प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि दोनों ही कर्मचारियों के सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्ति से काम सुचारू ढंग से चल रहा था। उनके चले जाने से काम अव्यवस्थित हो गया है। सदर अस्पताल के कर्मचारियों  द्वारा आज काम ठप करने की वजह से रांची के विभिन्न जगहों पर कोरोना टेस्टिंग का काम प्रभावित हो गया है। मोबाइल टीम से लेकर मोहल्ले में लगाए जाने वाले जांच केंद्रों में भी स्वास्थ्य सम्बन्धी काम अवरुद्ध हो गया।

    अस्पताल प्रबंधन के प्रति  नाराजगी

    कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच संजय सिंह और शैलेंद्र भारद्वाज को सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर लाया गया था। संजय सिंह रातू ब्लॉक में पोस्टेड थे, जबकि शैलेंद्र भारद्वाज को कांके ब्लॉक का कार्यभार सौंपा गया था। दोनों कर्मचारी टीबी डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। सदर अस्पताल के कर्मचारी संजय भुइयां ने कहा कि संजय सिंह और शैलेंद्र भारद्वाज का  प्रतिनियुक्ति से बेहतर मैनेजमेंट के साथ काम हो रहा था। उनके चले जाने से काम प्रभावित होगा। इस कारण हम लोगों ने आज काम ठप कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम लोगों को सप्ताह में एक भी दिन छुट्टी नहीं मिलती है। सप्ताह में 7 दिन काम करवाया जाता है। इससे हमलोग मानसिक तनाव में हैं। साथ ही कहा कि खाने की गुणवत्ता भी काफी खराब है। इससे भी हम सभी लोगों में अस्पताल प्रबंधन के प्रति  नाराजगी है। इधर, स्वास्थ्य कर्मचारियों के हड़ताल के बाबत पूछे जाने पर रांची के सिविल सर्जन विनोद कुमार ने कहा कि कर्मचारी पहले से जिस जगहों पर पदस्थापित थे। उन्हें वापस वहीं भेजा गया है। इनके यहां रहने से टीबी के मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा था। उन्होंने बताया कि अब दोनों कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति पर स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशानुसार आगे का निर्णय लिया जाएगा।