Former Deputy Mayor Dr. Siddharth Dhende

  • पूर्व उपमहापौर डॉ. सिद्धार्थ ढेंडे की मांग

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पुणे. पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation)का स्वास्थ्य विभाग (Health Department) आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए ‘शहरी-गरीब योजना’ (Urban Poor Scheme) के माध्यम से लाखों नागरिकों को मुफ्त सर्जरी (Free Surgery) और उपचार (Treatment) प्रदान करता है, लेकिन केवल बीमा सलाहकारों (Insurance Advisors) यानी निजी एजेंटों की जेब भरने और योजना के लाभ से लाखों जरूरतमंद गरीबों को वंचित करने के लिए पीएमसी ने  परिवार बीमा योजना को लागू करने का फैसला किया है। इस प्रक्रिया को तुरंत रद्द कर दिया जाना चाहिए।

ऐसी मांग रिपाई के नगरसेवक, पूर्व डिप्टी मेयर डॉ. सिद्धार्थ ढेंडे (Former Deputy Mayor Dr. Siddharth Dhende) ने  कमिश्नर विक्रम कुमार (Commissioner Vikram Kumar)  से की है। 

 लागू है ‘शहरी-गरीब योजना’ 

 डॉ. धेंडे के अनुसार, शहरी गरीब योजना के माध्यम से हर साल महानगरपालिका पीले और नारंगी राशन कार्ड धारकों में जरूरतमंद पुणेकरों को लाखों रुपए की महंगी सर्जरी प्रदान करता है। निजी अस्पतालों, पूर्व कर्मचारियों, नगरसेवकों और उनके परिवारों को 2 लाख रुपए तक की रियायतें देता है। ‘शहरी-गरीब स्वास्थ्य’ योजना के माध्यम से सालाना 30-35 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है।  लेकिन  प्रशासन ने हाल ही में 2 लाख आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों के लिए 2 लाख रुपए की बीमा योजना की घोषणा की। इसमें कहा गया है कि बीमा कंपनी संबंधित सलाहकार को पैसे का भुगतान करेगी। बीमा नियामक प्राधिकरण (IRDA) के नियमों के अनुसार, किसी भी सलाहकार को भुगतान नहीं किया जाता है।  इसलिए सलाहकार यानी बीमा एजेंट को महानगरपालिका को अपने तिजोरी से भुगतान करना होगा। 

पुणेकरों का होगा नुकसान 

धेंडे ने आगे कहा कि यह पुणेकर के लिए बिना किसी कारण के करोड़ों रुपए उनके गले में डालने का एक तरीका है। मूल रूप से शहर की 42 फीसदी आबादी बस्तियों में रहती है। इसलिए यह विज्ञापन और इसमें 2 लाख जरूरतों का आंकड़ा असंगत है, इस विज्ञापन को रद्द करके प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इससे लाखों जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवा से वंचित होने की संभावना है। डॉ. धेंडे ने इसको लेकर मनपा कमिश्नर को एक पत्र भी दिया है।