Policy for Divyang Ferrymen, Manpa to curb those who take unfair advantage

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पुणे. दिव्यांगों (Divyang) को प्रोत्साहन देने के लिए महापालिका की ओर से फेरीवाला नीति (Hawker policy) में उन्हें कई सहूलियत दी गई हैं। लेकिन अब प्रशासन के सर्वे के तहत सामने आ रहा है कि अपने दिव्यांग (Divyang)  होने का अनुचित फायदा ये लोग उठा रहे हैं।

इससे पुणे महानगर पालिका (Pune Municipal Corporation) का नुकसान हो रहा है। इस वजह से अब महापालिका प्रशासन (Municipal administration) ने भी ऐसे दिव्यांग फेरीवालों पर लगाम कसने का फैसला लिया है। इसके अनुसार प्रशासन ने एक नीति बनाई है। इसके तहत दिव्यांग फेरीवालों को अपना ठेला किराया पर देने के लिए पाबंदी लगाई है। साथ ही मनपा सीमा के बाहर के दिव्यांग को शहर में व्यवसाय के लिए प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ऐसी नियमावली प्रशासन ने बनाई है। इसे शहर फेरीवाला समिति द्वारा मंजूरी दी गई है। ऐसी जानकारी अतिक्रमण विभाग के उपायुक्त माधव जगताप ने दी।

फेरीवाला नीति पर किया जा रहा अमल

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार महापालिका प्रशासन की ओर से फेरीवाला नीति पर अमल किया जा रहा है। प्रशासन की ओर से हाल ही में इसके तहत सर्टिफिकेट व बारकोड पहचान पत्र का वितरण किया है। यह लाइसेन्स देते समय कई शर्तें लगायी गयी हैं। प्रमुख शर्त यह है कि जिसे पहचान पत्र दिया गया है, उसने ही व्यवसाय करना अनिवार्य है। लेकिन विगत कई दिनों से देखने को मिल रहा है कि मुख्य पथारी मालिक अपनी पथारी किराए पर दूसरे को देता है। हाल ही में मनपा प्रशासन के ध्यान में यह बात आयी। इसमें खास तौर से दिव्यांग फेरीवाला मनपा को किस तरह से फंसा रहे हैं। यह भी सामने आया है। इस वजह से अब महापालिका के अतिक्रमण विभाग की ओर से एक नीति बनाई गई है।

शहर फेरीवाला समिति ने दिए सुझाव

जगताप ने कहा कि हमने नीति बनाकर उसे शहर फेरीवाला समिति के समक्ष रखा था। लेकिन समिति ने इसमें कई बदलाव सुझाए थे। इसके अनुसार हमने कई नए नियम लगाए हैं। इसके अनुसार अब स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 को लागू करने से पहले, जो विकलांग व्यवसायी आधिकारिक/ अनाधिकारिक रूप से व्यवसाय कर रहे थे और जिन्हें वर्ष 2014 के दौरान वास्तविक परिसर में बायोमेट्रिक सर्वेक्षण के माध्यम से पंजीकृत किया गया है, उन्हें ड्रॉ द्वारा उसी क्षेत्र कार्यालय क्षेत्र में अनुमोदित क्षेत्र में जगह दी जाएगी। हालांकि, सभी व्यवसायी,  जिन्होंने केवल विकलांगता प्रमाण पत्र दिखाकर प्रमाण पत्र प्राप्त किया है, उन्हें वार्ड में अनुमोदित क्षेत्र में उपलब्ध स्थान आवंटित करके पुनर्वास किया जाएगा। इसके लिए, सरकारी नियम और आरक्षण लागू होंगे। ऐसे पंजीकृत दिव्यांग व्यापारियों को यह गारंटी देनी होगी कि उनके पास अपनी आजीविका के लिए आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि उसे या परिवार के सदस्यों ने मनपा या अन्य सरकारी योजनाओं के अन्य विभागों से व्यवसाय नहीं लिया है। ऐसे अक्षम व्यापारी को स्वीकृत क्षेत्र में जगह आवंटित करने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।

 इन नियमों का करना होगा पालन

यदि गंभीर रूप से विकलांग व्यक्तियों या मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों के लिए स्वयं का व्यवसाय करना संभव नहीं है, तो उनकी मदद से उनके पति, पत्नियों, पुत्रों और पुत्रियों के लिए वहां व्यापार करना अनिवार्य होगा। यदि परिवार का कोई सदस्य नहीं है, तो संबंधित क्षेत्र कार्यालय की पूर्व अनुमति के साथ दूसरे व्यक्ति से सहायक प्राप्त किया जा सकता है।

3 साल का देना होगा निवासी प्रमाण पत्र

कम से कम तीन वर्षों के लिए महापालिका में पंजीकृत दिव्यांग के निवास का प्रमाण आवेदन के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए। नीति के अनुसार 40% से अधिक विकलांगता पर व्यवसाय के लिए विकलांगता पात्रता पर विचार किया जाएगा। पंजीकृत दिव्यांग पथ विक्रेताओं के लिए अधिकृत ज़ोन में अधिकृत क्षेत्रीय कार्यालय में निर्धारित जगह पर 5 ‘लंबाई x 4′ चौड़ाई x 7’ ऊंचाई के बंद स्टॉल लगाए जा सकते हैं। विभिन्न आकारों के पारस्परिक रूप से संलग्न स्टॉल नहीं रखे जा सकते हैं। विकलांग व्यापारियों को मंजूर स्थान पर रखकर अपना व्यवसाय करना अनिवार्य होगा, अन्यथा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

प्रमाण पत्र धारक दिव्यांग व्यवसायी को निर्दिष्ट स्थान के अलावा अन्य स्थानों पर एक दूसरे के साथ व्यापार करने की अनुमति नहीं होगी। वरना लाइसेंस को रद्द किया जाएगा। क्षेत्र कार्यालय को आवेदन प्रस्तुत करने वाले विकलांग व्यवसायी को कम्प्यूटरीकृत आय पंजीकरण के अनुसार पहली आवेदक के लिए पहली प्राथमिकता के आधार पर काम दिया जाएगा। बायोमेट्रिक सर्वेक्षण के समय विकलांग व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी। दिव्यांग व्यवसायी को आवंटित भूमि के बारे में स्थानीय लोगों से किसी भी गंभीर लिखित शिकायत के मामले में, या यदि व्यावसायिक परिसर खाली करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखित सूचना द्वारा सूचित करना चाहिए। कम से कम 7 दिनों के भीतर यह काम करना अनिवार्य होगा।