देश को जात-पात के भूत से छुटकारा दिलाएं

  • विधान परिषद सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर की राय

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पुणे. वर्तमान समय में युवा पीढ़ी जातिगत कीटों से पीड़ित है. इस देश को एकजुट करने के लिए हमें हर किसी के दिल में बसे जाति के भूत से छुटकारा दिलाना होगा. इसके लिए संतों द्वारा दिखाए गए मार्ग को सभी आम लोगों तक पहुंचाने का काम बड़े पैमाने पर करने की जरूरत है. यह राय महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष रामराजे नाईक निंबालकर ने रखे.

विश्वशांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी एजुकेशनल ग्रुप और माईर्स एमआईटी विश्वशांति विश्वविद्यालय, कोथरूड में दार्शनिक संत ज्ञानेश्वर माऊली-जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज विश्वशांति पर्यावरण परियोजना, इको पार्क के तहत निर्मित किए गए ज्ञान एवं विश्वशांति के प्रतिक रहे लगभग 160 फीट ऊंचे दार्शनिक संत ज्ञानेश्वर ज्ञान फव्वारा और संत तुकाराम विश्वशांति फव्वारों का उद्घाटन हुआ.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वे बोल रहे थे. इस अवसर पर पुणे के मेयर मुरलीधर मोहल, श्री राम जन्मभूमि तिर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरीजी महाराज, ह.भ.प. बापूसाहेब मोरे देहूकर अतिथि के रूप में उपस्थित थे. नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति और महान वैज्ञानिक डॉ. पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर अध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे. इसके अलावा माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.डॉ. मंगेश तु. कराड, माईर्स एमआईटी के ट्रस्टी प्रो. प्रकाश जोशी, कार्यकारी निदेशक प्रो. स्वाति कराड चाटे, कार्यकारी निदेशक डॉ. सुचित्रा कराड नागरे, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. एन.टी.राव, उषा विश्वनाथ कराड, पंडित वसंतराव गाडगिल और राहुल सोलापुरकर उपस्थित थे.

संतों के विचारों का प्रसार करना होगा

रामराजे निंबालकर ने कहा कि हमें सोचना चाहिए कि संत ज्ञानेश्वर, संत तुकराम जैसे कई संतों के काम को आम जनता तक कैसे पहुंचाया जा सकता है. इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक जैसे ई-बुक्स, सोशल मीडिया और अन्य उपकरणों के उपयोग की आवश्यकता होगी. व्हाटसएप के माध्यम से जाति समूहों को देखा जाता है. जिससे समाज में दरार पैदा हो सकती है. ऐसे समय डॉ. विश्वनाथ कराड के जीवन कार्य का ग्राफ उनका उत्तर हो सकता है. शून्य से विश्व निर्माण करनेवाले डॉ. कराड आध्यात्मिकता, विज्ञान और ज्ञान के अवतार है. उसे अपने आध्यात्मिक विचारों के फव्वारें को जन जन तक फैलाना चाहिए.

पुणे के गौरव को बढ़ाएगा

मुरलीधर मोहल ने कहा कि यह विश्व शांति की एक पहाड़ी है, जो पुणे के गौरव को बढ़ाएगा. मैं सभी कानूनी कार्रवाई के लिए जितनी हो सके उतनी मेहनत करूंगा. शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनानेवाले एमआईटी ने शिक्षा, विज्ञान और अध्यात्म को मिलाकर एक नया संगम बनाया है.

एक साथ आने पर सब कुछ सफल होता है

स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने कहा कि विज्ञान के ज्ञान, अमीरों के धन और नेताओं के प्रयास एक साथ आने पर सब कुछ सफल होता है. छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस सिद्धांत का उपयोग ज्ञान, विज्ञान और भक्ति की रक्षा के लिए किया था. भगवान राम ने सभी के जीवन को दिशा दिखाई, लेकिन उसके बाद केवल शिवाजी महाराज ने सभी को दिशा दिखाई. पुरूषार्थ से सब कुछ हासिल होता है इसका प्रतीक यह वाटिका है. विजयादशमी के शुभ अवसर पर इसका शुभारंभ होना सौभाग्य की बात है.

 भारतीय संस्कृति प्राचीन और सार्वभौमिक

डॉ. विजय भटकर ने कहा कि हर कोई जानता है कि भारतीय संस्कृति प्राचीन और सार्वभौमिक है. लेकिन आनेवाले छात्रों को ज्ञान, विज्ञान और आध्यायात्मिकता का संगम एक साथ देखने को मिलेगा. आने वाला संसार एक ओर अध्यात्म और दूसरी और विज्ञान का होगा. उसी फव्वारे का प्रतीक यहां है. इसके माध्यम से भविष्य की संस्कृति और नई पीढ़ी का विकास होगा.

21वीं सदीं में भारत के विश्व नेता बनने की शुरूआत

प्रो. डॉ.विश्वनाथ दा. कराड ने कहा कि यह माना जाता है कि ज्ञान फाउंटेन और विश्व शांति फाउंटेन का नाम संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम रखा जाएगा जो भविष्य में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इस पहाड़ी पर अध्यात्म और विज्ञान का संगम देखा जा सकता है. उनके विचार विश्व शांति के लिए काम करेंगे. यहां का फव्वारा भी पहाड़ी को हरा भरा बना देगा. स्वामी विवेकानंद के अनुसार यह 21वीं सदीं में भारत के विश्व नेता बनने की शुरूआत है. प्रा. राहुल विश्वनाथ कराड ने परिचय में बताया कि इन फव्वारों का निर्माण विज्ञान और अध्यात्म क सूत्र को धारण करके किया गया था. एमआईटी के लिए इस ऐतिहासिक घटना की योजना बनाई गई है जो केवल 27 दिनों में बनाई गई है. प्रो. गौतम बापट ने कार्यक्रम का संचालन किया और प्रो. डॉ. मंगेश तु. कराड ने सभी का आभार माना