Workers not coming to work at the original place

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    पुणे. केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से केंद्रीय कर्मियों के लिए 1 जनवरी 2016 से 7वां वेतन (7th Pay) लागू किया गया है। इसके अनुसार इन कर्मियों को वेतन अदा किया जाता है। इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने भी अपने कर्मियों के लिए आयोग लागू किया है। पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) पर भी यह आयोग लागू होता है। मनपा कर्मियों के वेतन श्रेणी में सुधार करने के सरकार ने कहा था, लेकिन महानगरपालिका कर्मियों के ग्रेड पे की वजह से यह मामला रुका हुआ था। हाल ही में सत्ताधारी पार्टी ने ऑनलाइन सभा लेकर इस पर चर्चा करने का प्रयास किया था, लेकिन नगरसेवकों (Corporators) ने उप सुझावों की बारिश की थी, नतीजा सभा स्थगित करनी पड़ी थी। इस पर 10 मार्च की सभा में अंतिम फैसला हुआ। 

    इस पर लगभग 41 उप सुझाव दिए थे। जिसमें से 22 मंजूर किए गए। आम सभा ने मंजूरी देकर 1 माह होने के बावजूद भी अभी तक प्रस्ताव राज्य सरकार के पास नहीं गया है। यह प्रस्ताव अभी तक नगरसचिव कार्यालय में ही पड़ा हुआ था। इसको लेकर ‘enavabharat.com’ ने आवाज उठाई थी। उसके बाद अब नगरसचिव विभाग द्वारा प्रस्ताव कमिश्नर के पास भेजा गया है। अब जल्द ही इसे सरकार के पास भेजा जाएगा। ऐसी जानकारी पीएमसी के प्रभारी नगरसचिव शिवाजी दौंडकर ने दी।   

    22 उपसुझावों को दी है मंजूरी 

    महानगरपालिका कर्मियों के ग्रेड पे की वजह से यह मामला रुका हुआ था। नतीजा प्रशासन द्वारा यह प्रस्ताव नहीं रखा जा रहा था। कमिश्नर ने  ग्रेड पे और वेतनबैंड का सूत्र रखकर सुधारित वेतनश्रेणी लागू की है। इससे मनपाकर्मियों का ज्यादा नुकसान नहीं होनेवाला है। प्रस्ताव के अनुसार राज्य सरकार के तौर पर ग्रेड पे देते समय यह सूत्र लागू किया है। साथ 2006 से किसी भी कर्मी के वेतन बकाया की वसूली नहीं की जाएगी। इससे मनपा कर्मियों को राहत मिल गई है। इस बीच 1 जनवरी 2016 से अब तक का बकाया वेतन देने के लिए 585 करोड़ की लागत आएगी। यह राशि विभिन्न 5 हफ्तों में दी जाएगी। साथ ही वेतन लागू होने के बाद मनपा पर प्रति माह 17 करोड़ का बोझ आएगा। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए नैमित्तिक समिति के समक्ष रखा गया था। कई दिनों से इसे मंजूरी नहीं मिल रही थी। आखिरकार मूल प्रस्ताव को 22 उपसुझाव देकर हाल ही में नैमित्तिक समिति द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। उसके बाद स्थायी समिति ने भी इसे मंजूरी दी है। 

    कुल 41 उपसुझाव आए थे

    इस बीच इसके लिए जो उपसुझाव दिय गए है, वह वैध नहीं है। ऐसा प्रशासन का मानना है। इस वजह से सरकार के पास ये उपसुझाव टीक नहीं पाएंगे। सरकार प्रशासन का प्रस्ताव मंजूर करेगी। इस बीच इस पर आम सभा में इस पर फैसला होने के बाद उसे राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा, लेकिन आम सभा ना होने के चलते यह प्रस्ताव लंबित पड़ा हुआ था। आम सभा लेने सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। इससे कर्मी परेशान हो रहे थे। हाल ही में सत्ताधारी पार्टी ने ऑनलाइन सभा लेकर इस पर चर्चा करने का प्रयास किया था, लेकिन नगरसेवकों ने उप सुझावों की बारिश की। कुल 41 उपसुझाव आए थे। उसमें से 22 मंजूर किए तो 19 विसंगत होने के कारण ख़ारिज किया। इसे 10 मार्च को मंजूरी दी है। 

    लेखा और आस्थापना विभाग करेंगे चर्चा  

    महानगरपालिका प्रशासन की मानें तो आम सभा की मंजूरी मिलने के बाद इस पर महापौर के हस्ताक्षर होते हैं। बाद में यह प्रस्ताव नगरसचिव के पास आता है। नगरसचिव कार्यालय द्वारा उसे मनपा कमिश्नर के पास भेजा जाता है। कमिश्नर उसे लेखा अधिकारी के पास भेजते है। बाद में फिर प्रस्ताव कमिश्नर के पास जाता है। उसके बाद कमिश्नर सरकार के पास भेजते है, लेकिन 1 माह के बाद भी यह प्रस्ताव नगरसचिव कार्यालय में ही रुका हुआ था क्योंकि इस पर उपसुझाव देनेवाले नगरसेवकों के हस्ताक्षर होना शेष थे। इस वजह से प्रस्ताव आगे नहीं जा पाया था।  अब यह प्रस्ताव महापालिका कमिश्नर को भेजा गया है। अब कमिश्नर इसके बारे में लेखपाल और आस्थापना विभाग के साथ चर्चा करेंगे। उसके बाद उसे सरकार के पास भेजा जाएगा। उसके लिए भी समय लग सकता है। 

    कई उपसुझाव हो सकते है ख़ारिज 

    आम सभा ने करीब 22 उपसुझाव मंजूर किए हैं, लेकिन प्रशासन के सूत्रों की मानें तो इसमें से कई उपसुझाव कमिश्नर द्वारा ख़ारिज किए जा सकते है। क्योंकि इसमें से कई उपसुझाव नियम के तहत नहीं दिए गए है। साथ ही अब महानगरपालिका के विभाग प्रमुखों का ग्रेड पे 1 हजार रुपए से कम हो सकता है। इससे उनके वेतन में भी कमी आएगी क्योंकि सरकार के तर्ज पर ग्रेड पे लागू करने के निर्देश राज्य सरकार द्वारा दिए गए हैं। फ़िलहाल तो अधिकारियो को सरकार से भी ज्यादा ग्रेड पे मिल रहा है। जो अब कम हो सकता है। 

    सातवें वेतन आयोग का प्रस्ताव सभी उपसुझावों समेत हमने महानगरपालिका कमिश्नर को भेज दिया है। अब आगे की कार्रवाई कमिश्नर करेंगे।

    -शिवाजी दौंडकर, प्रभारी नगरसचिव, पुणे महानगरपालिका