-सीमा कुमारी
हर हिन्दू घर में पूजा घर यानी मंदिरअवश्य होता है। क्योंकि, देवी-देवताओं से जुड़े इस पावन स्थान पर जाते ही सर्वाधिक मन को शांति और सुकून मिलता है। सुख-शांति और समृद्धि की कामना के लिए बनाए जाने वाले मंदिर में वास्तु और परंपरा की कभी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। वास्तु शास्त्र में घर के मंदिर को लेकर कई जरूरी बातें बताई गई हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर परेशानियों को दूर भगाया जा सकता है। आइए जानते हैं घर के मंदिर को लेकर वास्तु शास्त्र के बारे में –
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अपने मंदिर या पूजाघर में कभी नग्न मूर्तियां न रखें। हमेशा देवता की पसंद के अनुसार या फिर कहें शुभता को ध्यान में रखते हुए कपड़े पहनाकर रखें।
- घर में शिवलिंग न रखें। शिवलिंग की पूजा के बहुत नियम होते हैं। अगर घर के मंदिर में शिवलिंग रखना है तो बहुत छोटे आकार का होना चाहिए।
- कहते है कि,पूजा में प्रयोग में लाए गये बासी और सूखे फूल न तो मंदिर रखें और न ही अपने घर के किसी कोने में रखें। इन फूलों को किसी स्वच्छ स्थान की मिट्टी में दबा दें। नदी में डालकर उसे प्रदूषित न करें।
- घर के मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर जरूर होनी चाहिए।और इसके अलावा, किसी भी देवी-देवता की एक से अधिक मूर्ति या तस्वीर मंदिर में न रखें।
- कभी भी न तो सीढ़ी के नीचे मंदिर बनाएं और न ही कभी भूलकर भी बीम के नीचे बैठकर पूजा न करें। वास्तु के अनुसार बीम के नीचे बैठकर पूजा करने से एकाग्रता प्रभावित होती है।
- मंदिर में रखी जाने वाली प्रतिमाओं या तस्वीरों को खाली जमीन पर न रखें बल्कि साफ कपड़ा या आसन पर ही इन्हें स्थापित करें।
- शयनकक्ष में पूजाघर न बनाएं। यदि मजबूरी में बनाना ही पड़े तो पूजाघर को ईशान कोण या उत्तर दिशा में बनाएं और रात्रि के समय अपने पूजाघर को परदे से ढंक कर रखें।