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    -सीमा कुमारी 

    हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण की अष्टमी तिथि को बड़े ही श्रद्धा भाव से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल यानी साल 2021 में ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ (Janmashtami) का महापर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा।

    पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 29 अगस्त, रात 11:25 बजे शुरू होगी, जो 30 अगस्त रात 1:59 बजे तक रहेगी। इसीलिए इस साल ‘श्रीकृष्ण जन्मोत्सव’ 30 अगस्त को मनाया जाएगा। मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ का पर्व सबसे उत्तम माना जाता है। क्योंकि, कृष्ण-भक्त इस दिन का बड़े ही बेसब्री से इंतजार करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और व्रत रखकर उनकी आराधना की जाती है।

    मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस साल ‘जन्माष्टमी’ (Janmashtami 2021) के अवसर पर कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है जो बहुत ही दुर्लभ है। ‘श्रीमद्भागवत पुराण’ के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार,रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था।

    ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि को श्रद्धालु ‘जन्माष्टमी’ के नाम से मनाते हैं। उनका मानना है कि इस बार ‘जन्माष्टमी’ बहुत ही खास है। कई विशेष संयोग बन रहे हैं। 30 अगस्त का दिन सोमवार है। अष्टमी तिथि 29 अप्रैल की रात 10:10 बजे प्रवेश कर जाएगी, जो सोमवार रात 12:24 तक रहेगी। रात में 12: 24 तक अष्टमी है। 

    इसके बाद नवमी तिथि प्रवेश कर जायेगी। इस दौरान चंद्रमा वृष राशि में मौजूद रहेगा। इन सभी संयोगों के साथ ‘रोहिणी नक्षत्र’ भी 30 अगस्त को रहेगा। ‘रोहिणी नक्षत्र’ का प्रवेश 30 अगस्त को प्रात: 6:49 में हो जायेगा। अर्धरात्रि को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक साथ मिल जाने से जयंती योग का निर्माण होता है। इसी योग में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। 101 साल के बाद ‘जयंती योग’ (Jayanti Yog) का संयोग बना है। साथ ही अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र व सोमवार तीनों का एक साथ मिलना दुर्लभ है।

    तीन जन्मों के पापों से मुक्ति

    निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसे संयोग जब जन्माष्टमी पर बनते हैं तो श्रद्धालुओं को इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए।  इस संयोग में ‘जन्माष्टमी-व्रत’ करने से तीन जन्मों के जाने-अनजाने में हुए पापों से मनुष्य को मुक्ति मिलती है।

    संतान प्राप्ति के लिए जन्माष्टमी का व्रत

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, संतान की कामना के लिए भी महिलाओं को ‘जन्माष्टमी’ का व्रत अवश्य करना चाहिए।  महिलाओं को इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप गोपाल का पूजन कर, पंचामृत से स्नान कर नया वस्त्र धारण कराकर गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे उन्हें यशस्वी दीर्घायु संतान की प्राप्ति हो सकती है।