ashaadi-amawasya

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    सीमा कुमारी

    हिन्दू धर्म में आषाढ़ महीने में पड़ने वाली ”अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। जो इस साल  9 जुलाई,यानी आज है। पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। आषाढ़ महीने की अमावस्या तिथि को हलहारिणी अमावस्या और अषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस पावन तिथि पर हल और खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस तिथि पर किसान विधि-विधान से हल पूजन करके ईश्वर से फसल हरी-भरी बनी रहने की कामना करते हैं। माना जाता है कि आषाढ़ मास के अंत में ही वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है।आषाढ़ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और पितरों का तर्पण भी किया जाता है। 

    आइए जानें आषाढ़ अमावस्या  का मुहूर्त, व्रत विधि और  महत्व। 

    *शुभ मुहूर्त

    अमावस्या तिथि 9 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होगी जो 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। 

    * पूजा विधि

    • मान्यता अनुसार, इस दिन सुबह जल्दी उठ कर  ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें।भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
    • इस दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।
    • पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।
    • जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं। 

    * महत्व

    शास्त्रों में ‘अषाढ़ी अमावस्या’ का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन कई शुभ अनुष्ठान किए जाते हैं। अमावस्या तिथि पर कई लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म भी करते हैं। इस दिन पितृ तर्पण, नदी स्नान और दान-पुण्य आदि करना ज्यादा फलदायी माना गया  है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अषाढ़ी अमावस्या’ पर गरीबों को भोजन करना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।  कहते है कि, इस  दिन गरीबों को भोजन कराने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।  मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन की परेशानियां खत्म होती हैं और कष्ट दूर होते हैं।  इसके अलावा इस दिन शक्कर का दान करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।