AAP's challenge to BJP in Gujarat Assembly elections

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    प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृहराज्य गुजरात में इसी वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनाव में 1998 से लगातार प्रत्येक चुनाव जीतती आ रही बीजेपी के सामने आम आदमी पार्टी की चुनौती होगी. इसके पहले तक वहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला हुआ करता था लेकिन अब त्रिभुज के तीसरे कोण के समान ‘आप’ उभर आई है. गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 29 सीटों के लिए ‘आप’ ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. गुजरात को बीजेपी ने हमेशा अपनी प्रयोगशाला माना है तथा वह विकास के गुजरात मॉडल पर जोर देती आई है. 1996 में गुटों के बीच विवाद से सरकार गिर गई थी लेकिन 1998 में बीजेपी फिर चुनकर आई. इस तरह 24 वर्षों से बीजेपी गुजरात में सत्तारूढ़ है. देश के अन्य किसी राज्य में बीजेपी इतने समय तक लगातार सत्ता में नहीं रही.

    कांग्रेस की हालत पतली

    गुजरात में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में बिखराव देखा जा रहा है. हाल ही में गुजरात युवक कांग्रेस के अध्यक्ष विश्वनाथसिंह वाघेला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. विधायकों और नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़ दी. कांग्रेस का ओबीसी चेहरा माने जानेवाले अल्पेश ठाकोर व पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. केवल जिग्नेश मेवानी कांग्रेस में बने हुए हैं जिन्हें राज्य में पार्टी का दलित चेहरा माना जाता है. अब कांग्रेस के पास गुजरात में कोई ऐसा नेता नहीं है जो बीजेपी को चुनौती दे सके.

    पाटीदार आंदोलन ठंडा हो गया

    पटेल-पाटीदारों का जो आंदोलन एक समय बीजेपी के लिए सिरदर्द बन गया था, वह पूरी तरह ठंडा पड़ चुका है. यह वर्ग आम तौर पर खेती-किसानी से जुड़ा है. 2017 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना नहीं थी, 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने इसे शुरू किया. इसमें 2000 रुपए की 3 किस्तों में प्रतिवर्ष 6000 रुपए किसानों को दिए जाते हैं. गुजरात सरकार का दावा है कि इस योजना से राज्य के 40 लाख किसानों को लाभ पहुंच रहा है.

    BJP ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर

    यद्यपि 182 सदस्यीय विधानसभा में 1998 से लगातार बीजेपी की सीटें कभी 100 से कम नहीं होने पाईं लेकिन 2017 के चुनाव में वह 99 सीटों पर ही जीत पाई, जबकि कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं. बीजेपी का वोट शेयर कांग्रेस से 8 प्रतिशत अधिक था. इसकी वजह यह थी कि बीजेपी का गुजरात के शहरी इलाकों में अच्छा-खासा प्रभाव था लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की पैठ अधिक थी. अब भी किसान पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं लेकिन उनके पास कोई राजनीतिक विकल्प नहीं है.

    मुफ्त बिजली व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का वादा

    बीजेपी के सामने इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी की चुनौती होगी जो दिल्ली के बाद पंजाब में अपनी जीत की वजह से काफी आत्मविश्वास में है. ‘आप’ अपने मुफ्त बिजली और स्तरीय शिक्षा देने के वादे को गुजरात में भी अपनाएगी. इनके अलावा महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाई जानेवाली योजनाओं को भी वह पेश करेगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री व ‘आप’ के प्रमुख नेता अरविंद केजरीवाल के गुजरात दौरे बढ़ गए हैं. ‘आप’ राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना चाहती है. अभी उसकी उपस्थिति दिल्ली, पंजाब और गोवा में है. वह गुजरात में भी किस्मत आजमाएगी. ‘आप’ ने भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन किया है. गुजरात की आबादी में 16 प्रतिशत आदिवासी हैं. ‘आप’ को लगता है कि बीजेपी विरोधी वोट उसके पार्टी में आएंगे तथा बीजेपी से असंतुष्ट कुछ नेता भी उसका साथ दे सकते हैं.