सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अदानी को राहत

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  • कारोबार जगत को निशाना बनानेवाली संस्थाओं पर अंकुश लगे

अदानी-हिंडनबर्ग प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर कांग्रेस और साथ ही उन तत्वों को बड़ा झटका दिया है, जो इस मामले को लेकर अदानी समूह के साथ केंद्र सरकार को भी घेरने में लगे हुए थे कि सेबी की जांच में कोई खामी नहीं है और विशेष जांच दल गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी भी महत्वपूर्ण है कि ऐसी जनहित याचिकाएं स्वीकार नहीं की जा सकती, जिनमें पर्याप्त शोध की कमी हो और जो अप्रमाणित रिपोर्टों को सच मानती हों. स्पष्ट है कि यह टिप्पणी उन तत्वों को भी आईना दिखाती है, जो जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल अपने निहित स्वार्थों को साधने के लिए करते हैं. इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि कुछ तत्व ऐसे हैं, जिन्होंने जनहित याचिकाओं को एक उद्योग में तब्दील कर दिया है. वे हर मामले में जनहित याचिका के सहारे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाते हैं.

हिंडनबर्ग का आरोप

एक वर्ष पहले जब अमेरिकी शार्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने यह आरोप लगाया था कि अदानी समूह अपने शेयरों में हेराफेरी कर रहा है तो उससे केवल इस समूह को ही नुकसान नहीं पहुंचा था, बल्कि भारतीय निवेशकों के अच्छे-खासे पैसे भी डूब गए थे. इसके अतिरिक्त अदानी समूह के प्रमुख गौतम अदानी अमीरों की सूची में तीसरे नंबर से खिसककर 25वें नंबर पर पहुंच गए थे. हिंडनबर्ग ने अदानी समूह की साख पर आघात कर अच्छी-खासी कमाई भी कर ली थी.

संसद में हंगामा हुआ था

एक तथ्य यह भी है कि अदानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट मोदी सरकार को घेरने का जरिया भी बन गई थी. संसद के भीतर और बाहर इसे लेकर खूब हंगामा हुआ था. राहुल गांधी ने इस मामले को खूब तूल दिया था. गत दिवस जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले मेें अपना फैसला सुना रहा था, लगभग उसी समय तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अदानी समूह के प्रबंध निदेशक से मुलाकात कर रहे थे. महत्वपूर्ण केवल यह नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की अब तक की जांच को सही पाया, बल्कि यह भी है कि उसने विदेशी संस्थाओं की रपट पर आंख मूंदकर भरोसा करने से इन्कार किया.

कुछ समय पहले उसने यह कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो कुछ कहा गया है, उसे पूरी तरह सही नहीं माना जा सकता. गत दिवस भी उसने मोदी सरकार से खुन्नस खाने वाले अरबपति निवेशक जार्ज सोरोस से जुड़ी संस्था ओससीसीआरपी के आरोपों को महत्व देने से इन्कार किया. सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह रेखांकित कर रहा है कि सेबी और सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी होगी, जिससे संदिग्ध इरादों वाली हिंडनबर्ग और ओसीसीआरपी जैसी संस्थाएं भविष्य में देश के कारोबार जगत को निशाना न बना पाएं.

अनियमितता के सबूत नहीं मिले

अदानी पर हिंडनबर्ग के आरोपों के संदर्भ में सेबी की जांच पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अदानी समूह के लिए राहत भरा है. इससे पहले शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने भी इस समूह पर अनियमितता के सबूत नहीं पाए थे. पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अदानी समूह पर खाते में हेराफेरी और कंपनी में गड़बड़ी करने तथा शेयरों की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने जैसे सनसनीखेज आरोप लगाए थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अदानी समूह की मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल हेराफेरी करने के लिए किया गया.

रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही अदानी समूह की कंपनियों के मार्केट वैल्यू में भारी गिरावट आई और राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए आरोप लगाया था कि सरकार के संरक्षण में अदानी समूह फल-फूल रहा है. नतीजतन सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति तो बनाई ही, सेबी को अलग से मामले की जांच भी सौंपी. विशेषज्ञ समिति ने अदानी समूह के शेयरों की बढ़ा-चढ़ाकर बोली लगाने का बेशक कोई सबूत नहीं पाया, लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट में यह कहा था कि कीमतों में सुनियोजित उतार-चढ़ाव व विनियामक यानी सेबी की अगर कोई भूमिका रही हो, तो उसके बारे में पता करना संभव नहीं. दूसरी ओर सेबी की जांच हालांकि अभी पूरी नहीं हुई है.

22 मामलों की जांच पूरी

अदानी से जुड़े 24 में से 22 मामलों की जांच उसने पूरी की है, ऐसे में शीर्ष अदालत ने उसे बाकी दो मामलों की जांच के लिए तीन महीने की मोहलत दी है. जिन दो मामलों की जांच होनी है, वे हैं- अदानी समूह की कंपनियों में 12 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कौन थे, तथा इस समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले साल ट्रेडिंग का पैटर्न क्या था? गौरतलब है कि विपक्ष सेबी की भूमिका पर भी सवाल उठा चुका है. लेकिन शीर्ष अदालत ने न सिर्फ सेबी की जांच पर संतुष्टि जताते हुए जांच की जिम्मेदारी किसी और को देने से इन्कार किया है, बल्कि यह भी कहा है कि अदालत को सेबी के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का सीमित अधिकार है. कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला अदानी समूह के लिए तो राहत भरा है ही, जिसका पता गौतम अदानी की प्रतिक्रिया से चलता है, लोकसभा चुनाव से पहले आया यह फैसला केंद्र सरकार के लिए भी आश्वस्त करने वाला है.