After unnecessary remarks had to be clarified, everyone was furious with the words of the Governor

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    पानी में रहकर मगर से बैर करना बहुत महंगा पड़ता है. अन्य राज्यों की बात कुछ अलग हो सकती है लेकिन महाराष्ट्र के लोग अपनी मराठी अस्मिता को लेकर अत्यंत संवेदनशील हैं. वे अपनी विशिष्ट पहचान और महत्ता पर जरा सा आक्षेप भी बर्दाश्त नहीं करते. ऐसे नाजुक और भावनात्मक मसले पर कुछ बोलने से बचना चाहिए. राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी जब इतने वर्षों से महाराष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख है तो मराठी मन से जुड़ी इस मानसिकता से अवश्य अवगत होंगे. इतने पर भी उन्होंने जाने-अनजाने में एक ऐसा बयान दे दिया जिसकी विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने कड़ी आलोचना की है.

    मुंबई के अंधेरी इलाके में शांतिदेवी चंपालाल कोठारी चौक के नामकरण समारोह में राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि मैं यहां लोगों से कहता हूं कि महाराष्ट्र में विशेषकर मुंबई-ठाणे से गुजरातियों और राजस्थानियों को निकाल दो तो तुम्हारे यहां कोई पैसा बचेगा ही नहीं. यह राजधानी जो आर्थिक राजधानी कहलाती है, आर्थिक राजधानी कहलाएगी ही नहीं. अगर गुजराती और राजस्थानी मुंबई में नहीं रहेंगे तो यह देश की वित्तीय राजधानी नहीं रहेगी. राज्यपाल के इस बयान को लेकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई. साथ ही बीजेपी और शिवसेना के शिंदे गुट को भी राज्यपाल के बयान से किनारा करना पड़ा.

    उध्दव ठाकरे भड़के

    शिवसेना प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल कोश्यारी बार-बार विवादित बयान देते रहते हैं. इस तरह का बयान देकर उन्होंने राज्य की जनता का अपमान किया है. पूरी दुनिया में महाराष्ट्र की ख्याति है. तीन वर्षों में महाराष्ट्र का नमक खाकर नमकहरामी कर रहे हैं. केंद्र सरकार को तय करना चाहिए कि राज्यपाल को घर वापस भेजा जाए या जेल? कोश्यारी ने महाराष्ट्र का घी देखा लेकिन कोल्हापुर का जोड़ा नहीं देखा. उन्हें राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए.

    शिंदे-फडणवीस भी नाराज

    मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र के विकास में मराठी लोगों का बड़ा योगदान है. इसे किसी भी कीमत पर नकारा नहीं जा सकता. मराठियों की वजह से मुंबई और महाराष्ट्र को वैभव हासिल हुआ है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्यपाल ने क्या बोला है, यह तो वे ही बताएंगे लेकिन हम उनके बयान से सहमत नहीं हैं. मराठी लोगों का मुंबई समेत पूरे राज्य के विकास में बड़ा योगदान है. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी नाराजगी से कहा कि मराठी मानुष को मूर्ख मत बनाओ. यदि राज्यपाल राज्य के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते हैं तो इसके बारे में बात न करें. राज्य में मराठी लोगों की वजह से नौकरी के अच्छे अवसर पैदा हुए इसलिए दूसरे राज्यों के लोग यहां चले आए. प्रदेश एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि इस राज्य के मराठी मजदूरों की मेहनत पर मुंबई खड़ी है. राज्यपाल कोश्यारी यदि दूसरे राज्यों से प्यार करते हैं तो उन्हें वहां खुशी-खुशी जाना चाहिए.

    कोश्यारी की सफाई

    अपने बयान पर बवाल मचने के बाद राज्यपाल कोश्यारी ने बयान जारी कर कहा कि मुंबई महाराष्ट्र के स्वाभिमान के साथ-साथ देश की आर्थिक राजधानी भी है. मुझे इस बात का गर्व है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की इस धरती पर मुझे राज्यपाल के तौर पर कार्य करने का मौका मिला. मैंने केवल गुजराती व राजस्थानियों के उद्योग-व्यवसाय में योगदान के बारे में बोला था. मेरे इस बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. राजनीतिक दल इस पर विवाद पैदा न करें. मेरी तरफ से मराठी भाषियों का अपमान कभी नहीं होगा.